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आरोपियों को भी अपनी बात रखने का मौका मिले: शरमन जोशी

मुम्बई। मी टू अभियान के चलते इन दिनों बॉलिवुड में महिला सुरक्षा का मुद्दा काफी सुर्खियों में है। ऐक्टर शरमन जोशी की आने वाली फिल्म ‘काशी इन सर्च ऑफ गंगा’ में उनकी बहन गुम जाती है, जिसे वह तलाशते हैं। जब हमने शरमन जोशी से महिला सुरक्षा और मीटू के बारे में सवाल किया, तो उनका कहना था कि यह अच्छा मूवमेंट है, जिससे लड़कियों को हिम्मत मिल रही है। लेकिन साथ ही आरोपियों को भी अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए। शरमन ने कहा, ‘ये अच्छा है कि इस मूवमेंट को पहचान मिल रही है और लड़कियों को हिम्मत मिली कि वे अपनी आपबीती शेयर कर पा रही हैं। मुझे लगता है कि सरकार-प्रशासन को इस मामले में एक पैनल या फास्ट ट्रैक कोर्ट बना देना चाहिए, ताकि इन पर सुचारू रूप से सुनवाई हो सके। जरूरी कदम को जल्दी से जल्दी उठा लेना चाहिए।’

शरमन आगे कहते हैं, ‘देखिए, पब्लिक शेमिंग एक अलग चीज है और आपके ऊपर जो गुजरी है, साइकलॉजिकली उसका बदला लेने का भी कुछ मन होता होगा, लेकिन मुझे यह भी लगता है कि किसी आरोपी के बारे में बात करते हुए हमें संवेदनशील होना चाहिए, क्योंकि हम लोग एक सभ्य समाज में रहते हैं। अब अगर आरोपी खुद ही पब्लिक में आकर माफी मांगे या अपना पद छोड़ दे, तो वह सबसे अच्छा है, लेकिन जो लोग आरोपों से मना कर रहे हैं, उन्हें भी ईमानदारी से अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए और किसी सही अथॉरिटी द्वारा कोई फैसला देने से पहले हमें उसको लेकर जजमेंटल नहीं बनना चाहिए। हम सभ्य समाज में रहते हैं और सभ्य समाज में इन चीजों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’  वहीं काशी फिल्म में जर्नलिस्ट का किरदार निभा रहीं ऐश्वर्या देवन इस बारे में कहती हैं, ‘आजकल तो लड़कियों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। अच्छी बात है कि अगर औरतें सामने आ रही हैं। रोज हमें ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जिनसे लगता है कि लड़कियां असुरक्षित हैं। जिस हिम्मत से वह सामने आ रही हैं, वह काबिले-तारीफ है। अब सही यही है कि न्यायालय फैसला दे कि कौन सही है और कौन गलत।’

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