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विश्व मंच पर हो सकती है भारत की किरकिरी

नई दिल्ली। वैश्विक तौर पर बढ़ते प्रदूषण की वजह से बीमारी और मौतों के आंकड़े में इजाफे से चिंतित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में भारत समेत दुनिया के तमाम देशों के स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्री, वैश्विक नेताओं, अकादमिक व वैज्ञानिक जगत के एक्सपर्ट्स को बुलावा भेजा गया है। अपनी तरह की इस पहली बैठक में प्रदूषण से लड़ाई की रणनीति तय की जाएगी। 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक जिनेवा में होने वाली इस बैठक के दौरान भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण वैश्विक मंच पर किरकिरी की वजह बन सकता है। तीन दिवसीय इस उच्च स्तरीय बैठक में उन देशों के लिए टारगेट तय किए जाने की संभावना है जहां प्रदूषण के शिकार रोगियों और मृत्यु दर अधिक है। यह बैठक उस वक्त हो रही है जब भारत में दिल्ली समेत उत्तर भारत की हवा में पलूशन का स्तर लगातार बढ़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली जैसी चीजों की वजह से पलूशन का स्तर और बढ़ने की ही आशंका है। ऐसे में भारत इस अहम बैठक के दौरान आलोचनाओं का शिकार हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के ताजातरीन आकलन के मुताबिक दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों मंम टॉप 14 भारत के हैं। कानपुर, फरीदाबाद और वाराणसी टॉप थ्री में हैं जबकि इस लिस्ट में दिल्ली, पटना, आगरा, मुजफ्फरपुर, श्रीनगर, गुड़गांव, जयपुर, पटियाला और जोधपुर भी शामिल हैं। कुवैत का अली सुबह अल-सलेम और चीन व मंगोलिया के कुछ शहर भी इस लिस्ट में शामिल हैं। 2016 में आउटडोर एयर पलूशन भारत में 10.87 लाख से अधिक लोगों की मौत की वजह बना था। वहीं, हाउसहोल्ड एयर पलूशन की वजह से 10.85 लाख से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। डब्ल्यूएचओ ने इस कार्यक्रम के लिए जो अजेंडा तैयार किया है उसमें ट्रांसपॉर्ट, एनर्जी, एग्रीकल्चर, वेस्ट और हाउसिंग सेक्टर से प्रदूषण उत्सर्जन को कम करने की रणनीति पर जोर देने की बात कही गई है। इसके अलावा क्लाइमेट चेंज की गति को कम करने के लिए देशों को अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य-जागरूक रणनीतियों पर काम करने को कहा गया है। साथ ही स्वास्थ्य, एनर्जी और शहरों के लिए सतत विकास की रणनीति को समर्थन देने की भी बात है।

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