मुंबई। देश के रसायन उद्योग के नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से आगे बढ़ने की संभावना है और यह वित्त वर्ष 2025 तक 304 अरब डॉलर का हो सकता है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। वित्त वर्ष 2017- 18 में यह 163 अरब डालर का रहा। टाटा स्ट्रेटजीक ग्रुप ने उद्योग संगठन फिक्की के साथ ‘इंडिया केम स्ट्रेटजी’ शीर्षक से रपट का प्रकाशन किया है। इस रपट में कहा गया है कि विशेष प्रकार के रसायनों की खपत करने वाले उद्योगों में मांग बढ़ने के कारण वृद्धि में बढ़ोत्तरी हो सकती है। देश का रसायन उद्योग दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ रहे उद्योगों में शामिल है। वर्तमान में यह एशिया में तीसरा और दुनिया में छठा सबसे बड़ा रसायन उद्योग है। भारतीय रसायन उद्योग का उत्पादन अमेरिका, चीन, जर्मनी, जापान और कोरिया के बाद सबसे अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है घरेलू रसायन क्षेत्र (उर्वरक को छोड़कर) में वित्त वर्ष 2017- 18 में 1.3 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ जो कि देश के कुल एफडीआई प्रवाह का तीन प्रतिशत रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय रसायन कंपनियों ने निवेश के लिये वैश्विकय बाजारों पर ध्यान केन्द्रित करना शुरू कर दिया है। हाल ही में देश की सबसे बड़ी कृषि रसायन कंपनी यूनाइटेड फास्फोरस ने 4.2 अरब डालर में आरयस्ता लाइफसाइंसिज का अधिग्रहण करने की घोषणा की है।
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