मुंबई,14 सितंबर। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को लेकर आम धारणा है कि यहां मेकर्स खाते हिन्दी का हैं, पर गुणगान अंग्रेजी का करते हैं। वह भी तब, जब इन दिनों हिन्दी क्षेत्र की कहानियों पर फिल्में और वेब सीरिज आ रही हैं। खासकर पिछले 15 सालों में पटकथा और संवादों से देवनागरी लिपि का खात्मा हो चुका है। शाहरुख खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन, रणवीर सिंह, डैनी समेत इंडस्ट्री के कई दिग्गजों के साथ काम कर चुके अनुभवी कलाकार मुकेश तिवारी ने इसकी वजह बताई है। मुकेश तिवारी कहते हैं, “मैं 22 सालों से इंडस्ट्री में हूं। जबसे कंप्यूटरों, लैपटॉप और मोबाइलों पर स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखे जाने लगे हैं, तब से देवनागरी लिपि का विलोपन हो गया है। रोमन हिन्दी ने उस लिपि को विस्थापित कर दिया है। रही सही कसर प्रोडक्शन हाउस और कॉरपोरेट स्टूडियो के उन अधिकारियों ने पूरी कर दी है, जो अंग्रेजी स्कूल और कॉलेज से हैं। साथ ही सितारों ने भी अब देवनागरी में पटकथा मांगनी कम कर दी हैं। अजय देवगन हैं, जो सेट पर हिन्दी के माहौल में रहना पसंद करते हैं, या देवनागरी लिपि में स्क्रिप्ट डिमांड करते हैं। हम जैसों को तकलीफ होती है। हम फिर खुद ही रोमन हिन्दी को देवनागरी में बदलते हैं। पिछले दस सालों में मैंने कई बड़े सितारों के साथ काम किया, मगर अक्सर सबको रोमन हिन्दी के साथ ही सहज पाया।” ‘दंगल’, ‘अतरंगी रे’ और ‘आश्रम’ की डिक्शन कोच सुनीता शर्मा बताती हैं, “फिल्मों में तो डिमांड करने पर कलाकारों को देवनागरी लिपि में स्क्रिप्टें मुहैया करा दी जाती हैं, पर सीरियलों में तो बुरा हाल है। वहां राइटिंग रोमन हिन्दी में ही रहती है। मांगे जाने पर भी देवनागरी लिपि में कुछ नहीं मिलता। फिल्मों में आमिर खान यकीनन उच्चारण को लेकर बहुत अलर्ट रहते हैं। ‘दंगल’ की स्क्रिप्ट उन्होंने देवनागरी लिपि में मंगवाई थी। ‘अतरंगी रे’ में अक्षय कुमार और आनंद एल राय देवनागरी लिपि प्रिफर कर रहें हैं। सारा अली खान ने डिक्शन सुधारने के लिए छह महीने मुझसे सेवाएं लीं। ‘आश्रम’ में बॉबी देओल को ‘पुरातत्व’, ‘नकारात्मक’, ‘सकारात्मक’ के उच्चारण में गलतियां होती थीं। उन्हें अपने ज्यादातर डायलॉग संस्कृतनिष्ठ हिन्दी में बोलने थे। ऐसे में मुझे हायर किया गया। बॉबी ने पहली बार अपने करियर में डिक्शन कोच तो जरूर रखा है। पर ओवरऑल इंडस्ट्री में अभी हिन्दी और देवनागरी लिपि के लिए बहुत काम होना बाकी है। वह इसलिए कि अभी भी हिन्दी शब्दों के उच्चारण में बीसियों गलतियां होती हैं, कोई कुछ नहीं कहता। वहीं अंग्रेजी के उच्चारण में एक भी गलती हो जाए, तो महसूस करवा दिया जाता है कि अरे इसे तो कुछ आता ही नहीं। इस सोच से फिल्म इंडस्ट्री में हिन्दी को वह स्थान नहीं मिला, जिसकी वो हकदार है।”स्टार किड्स को लगातार हिन्दी सिखाते रहने वाले कलाकार और ट्रेनर आनंद मिश्रा एक अलग पहलू पर प्रकाश डालते हैं। आनंद कहते हैं, “इंडस्ट्री में देवनागरी लिपि का चलन यकीनन बहस का विषय है, मगर हिन्दी भाषा सीखने को लेकर स्टार किड्स में ललक तो है। मसलन, वरुण धवन ने इंडस्ट्री में आने से पहले दो साल हिन्दी सीखने पर दिए। वरुण जयशंकर प्रसाद की कविताएं याद कर मुझे सुनाते थे। जैकी भगनानी अब बहुत बड़े प्रोड्यूसर बन चुके हैं। बतौर एक्टर अपनी हिन्दी बेहतर करने के लिए मुक्तिबोध की लाइनें याद करते थे। उन्हें बड़ी गहराई से समझने की कोशिश करते थे। जाह्नवी कपूर को करण जौहर जो लाइनें ऑडिशन के लिए देते थे, उन पर वो मुझसे ट्रेनिंग लेती थीं। करण जौहर के बैनर से एक और स्टार किड लॉन्च हो रही हैं। वह फिल्म अक्टूबर से फ्लोर पर जाने वाली है। उन्होंने भी दो साल हिन्दी सीखने पर दिए हैं।”
