नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के बाद दोबारा वृद्धि और ईरान से तेल आयात को लेकर अमेरिकी धमकी के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में ऑइल सेक्टर की अहम बैठक चल रही है। इसमें पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पेट्रोल-डीजल को लेकर कोई फैसला कर सकती है? जानकारों का कहना है कि कीमतों को लेकर कोई फैसला होने की संभावना कम है, क्योंकि आचार संहिता लागू होने और वित्तीय हालातों की वजह से सरकार के हाथ बंधे हुए हैं। ईरान से तेल खरीदारी और अमेरिकी धमकी को लेकर मंथन हो सकता है। गौरतलब है कि क्रूड ऑइल की महंगाई को लेकर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। ढाई रुपये की कटौती के बावजूद अधिकतर राज्यों में पेट्रोल 80 रुपये प्रति लीटर से ऊपर बिक रहा है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में 1.50 रुपये की कमी की तो तेल कंपनियों को भी प्रति लीटर 1 रुपया कम लेने को कहा गया। इसके बाद कई राज्यों ने भी वैट में कटौती कर ग्राहकों को कुछ राहत दी।
उपभोक्ताओं को भले ही तत्काल कुछ राहत मिली हो, लेकिन तेल कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई। हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान यह साफ कर चुके हैं कि पेट्रोलियम बाजार के नियंत्रण में ही रहेगा और सरकार पुरानी व्यवस्था दोबारा बहाल नहीं करेगी। उधर, अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान से तेल खरीदारी को लेकर भी संकट पैदा हो चुका है। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्री ने कहा है कि भारत अपने हितों को ध्यान में रखकर ईरान से तेल खरीदता रहेगा, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को चेतावनी दी है। अमेरिका ने ईरान के खिलाफ चार नंवबर से शुरू हो रहे प्रतिबंधों को नहीं मानने वाले देशों को धमकी दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐसे देशों को दो टूक कहा कि अगर प्रतिबंध लागू होने के दिन तक कोई देश ईरान से तेल आयात को जीरो नहीं करेगा तो वॉशिंगटन ऐसे देशों के देख लेगा।