नई दिल्ली। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के बाद भारत में ईज ऑफ डूइंग बिजनस को बढ़ाने के लिए सरकार एक और बड़े रिफॉर्म की ओर बढ़ रही है। किसी स्टॉक्स, डिबेंचर सहित किसी फाइनैंशल इंस्ट्रूमेंट के ट्रांसफर पर सरकार देशभर में समान स्टाम्प ड्यूटीदर को लागू करने की तैयारी में है। यह कदम पिछले साल टैक्स सिस्टम को लेकर किए गए बड़े बदलाव जीएसटी की तरह है, जिसने राज्यों और केंद्रों के दर्जनों टैक्सों को एक कर दिया। नए सुधार के तहत सरकार पूरे देश में स्टाम्प ड्यूटी को एक समान करना चाहती है। हितधारकों ने सौ साल पुराने कानून के लिए बदलाव भी तैयार कर लिए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रस्ताव तैयार है और राज्यों की भी सहमति है। अधिकारी ने बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस बदलाव को पारित कराने के लिए लाया जा सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस कदम से राज्यों के राजस्व पर असर नहीं पड़ेगा। बता दें, कि स्टाम्प ड्यूटी भूमि खरीद से जुड़े ट्रांजैक्शंस और डॉक्युमेंट्स पर लगता है, लेकिन इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था। बिल्स ऑफ एक्सचेंज, चेक, लेडिंग बिल्स, लेटर्स ऑफ क्रेडिट, इंश्योरेंस पॉलिसीज, शेयर ट्रांसफर, इकरार–नामा जैसे वित्तीय साधनों पर स्टाम्प ड्यूटी की दर संसद तय करता है। हालांकि, अन्य वित्तीय साधनों पर स्टाम्प ड्यूटी की दर राज्य दर करते हैं। स्टाम्प ड्यूटी में भिन्नता की वजह से अक्सर लोग ट्रांजैक्शन ऐसे राज्यों के जरिए करते हैं, जहां दर कम होती है। मार्केट रेग्युलटर सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने इससे पहले राज्यों को सलाह दी थी कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने वाले फाइनैंशल ट्रांजैक्शन पर स्टाम्प ड्यूटीज को एकसमान बनाएं या माफ कर दें। एक समान स्टाम्प ड्यूटी रेट के लिए 1899 के कानून में बदलाव के लिए प्रयास पहले भी हुए हैं, लेकिन राज्यों ने इस अपील को खारिज कर दिया, क्योंकि वे स्टाम्प ड्यूटी पर अधिकार खोना नहीं चाहते।