नई दिल्ली। नौकरी के लिए विदेश जाने का आकर्षण दुनियाभर के कर्मचारियों में होता है। ब्लूमबर्ग ने एक सर्वे के हवाले से बताया है कि ऐसा इसलिए होता है कि वहीं काम विदेश में करने पर कर्मचारियों को ज्यादा पैसे और प्रमोशन मिलता है। सर्वे के मुताबिक सिंगापुर, स्विटजरलैंड, अमेरिका और हॉन्ग कॉन्ग जैसे देशों में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों की औसत सालाना सैलरी 21,000 डॉलर (करीब 15,62,085 रुपये) बढ़ जाती है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 45 प्रतिशत लोगों ने बताया कि मौजूदा काम करते हुए उन्हें विदेश में ज्यादा पैसे मिल रहे हैं। वहीं, 28 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने प्रमोशन के लिए विदेश का रुख किया। सर्वे में बताया गया है कि स्विटजरलैंड में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों की औसत सालाना सैलरी 61,000 डॉलर (करीब 45,37,485 रुपये) बढ़ जाती है।
एचएसबीसी के ऐनुअल एक्सैपट एक्सप्लोरर की लिस्ट में काम करने और रहने के लिहाज से सिंगापुर टॉप पर है। न्यू जीलैंड दूसरे, जर्मनी तीसरे, कनाडा चौथे, बहरीन पांचवें, ऑस्ट्रेलिया छठे, स्वीडन सातवें, स्विटजरलैंड आठवें, ताइवान नौवें और यूएई दसवें नंबर पर है। बात अगर सिर्फ सैलरी की करें तो विदेशी कर्मचारियों के लिए सबसे ज्यादा औसत सैलरी वाले देशों में स्विटजरलैंड टॉप है, जहां औसतन सालाना सैलरी 2.03 लाख डॉलर (करीब डेढ़ करोड़ रुपये) है। टॉप 10 देशों की इस सूची में भारत भी शामिल है, जो 7वें नंबर पर है। दूसरे नंबर पर अमेरिका (1.85 लाख डॉलर), तीसरे पर हॉन्ग कॉन्ग (1.78 लाख डॉलर), चौथे पर चीन (1.72 लाख डॉलर), पांचवें पर सिंगापुर (1.62 लाख डॉलर), छठे पर यूएई (1.55 लाख डॉलर), सातवें पर भारत (1.31 लाख डॉलर), आठवें पर इंडोनेशिया (1.28 लाख डॉलर), नौवें पर जापान (1.27 लाख डॉलर) और दसवें नंबर पर ऑस्ट्रेलिया (1.26 लाख डॉलर) है। विदेशों में काम करने वाले कुल 22,318 लोगों को इस सर्वे में कवर किया गया। हालांकि सर्वे से यह भी पता चलता है कि विदेश जाने वाली महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम आर्थिक लाभ होता है। विदेश जाने पर भी उनकी सैलरी 27 प्रतिशत बढ़ती है, जबकि पुरुषों की 47 प्रतिशत।