कोलकाता। भारत सरकार द्वारा पिछले दिनों कई टेलिकॉम नेटवर्क प्रॉडक्ट्स पर आयात शुल्क दोगुना करने से फोन कंपनियों पर सालाना 5,500 से 6,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। बता दें कि सरकार ने रुपये की स्थिति को सुधारने के लिए कई टेलिकॉम नेटवर्क प्रॉडक्ट्स पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। जिन प्रॉडक्ट्स पर आयात शुल्क बढ़ा है, उनमें बेस स्टेशन, ऑप्टिकल ट्रांसपॉर्ट गियर, आईपी रेडियोज, मीमो प्रॉडक्ट्स, वोल्प फोन्स, मीडिया गेटवेज, गेटवेज कंट्रोलर्स, करियर एथरनेट स्विच और पैकेट ट्रांसपॉर्ट नोड्स शामिल हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इन प्रॉडक्ट्स पर आयात शुल्क बढ़ने का असर देश में 4जी के विस्तार और 5जी के डिप्लॉयमेंट पर पड़ सकता है।
इस मामले पर टेलिकॉम कंपनियों के एग्जिक्युटिव्स ने कहा कि आयात शुल्क में बढ़ोतरी से कंपनियों पर कीमत का दबाव बढ़ेगा क्योंकि इस समय उनके नेटवर्क गियर की जरूरतें स्थानीय सप्लायर्स पूरी नहीं कर सकते। इस बारे में सेल्युलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया लॉबी ग्रुप के डायरेक्टर जनरल रंजन मैथ्यूज ने कहा, ‘आयात शुल्क में बढ़ोतरी से पहले से कर्जे में चल रही इंडस्ट्री पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।‘ हालांकि टेलिकॉम सेक्टर के कई विशेषज्ञों के मुताबिक, कंपनियों के पास इस दबाव से निजात पाने के विकल्प मौजूद हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बड़ी टेलिकॉम कंपनियां वियतनाम जैसे देशों से नेटवर्क प्रॉडक्ट्स का आयात कर सकती हैं, जिसके साथ भारत का फ्री ट्रेड अग्रीमेंट है। ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेजिडेंट टीवी रामचंद्रन ने कहा, ‘वियतनाम जैसे एशियाई देशों को पता है कि ब्रॉडबैंड को लेकर अगले कुछ साल भारत के लिए काफी अहम हैं। ऐसे में उन्होंने ग्लोबल टेलिकॉम गियर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए टैक्स–फ्रेंडली व्यवस्था को बढ़ावा दिया है।‘