नई दिल्ली। प्रख्यात अर्थशास्त्री और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन पर टिप्पणी की है। रघुराम राजन ने कहा है कि रुपया अभी इतना नीचे नहीं आया है कि ज्यादा चिंता की जाए। हालांकि उन्होंने मोदी सरकार को सलाह दी है कि उसे बढ़ते चालू खाता घाटे का ख्याल रखना पड़ेगा। आपको बता दें कि 16 अगस्त को डॉलर के मुकाबले रुपया अबतक के सर्वाधिक निचले स्तर (70.32) पर पहुंच गया था। हालांकि शुक्रवार को इस स्थिति में सुधार हुआ और रुपया 20 पैसा ऊपर चढ़कर 69.91 पर रहा। रघुराम राजन ने कहा कि भारत ने अपना राजकोषीय घाटा कम किया है। फिलहाल चालू खाता घाटा बढ़ा है। राजन ने इसके लिए ऊंची तेल की कीमतों को जिम्मेदार बताया। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘रुपये का अवमूल्यन अभी चिंताजनक स्तर पर नहीं पहुंचा है।’ राजन ने कहा कि इसकी वजह वैश्विक रूप से डॉलर की मजबूती हो सकती है। सितंबर 2016 तक आरबीआई के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने आने वाले समय में चुनावों का सामना करने जा रहे भारत और ब्राजील जैसे देशों के संदर्भ में कहा कि व्यापक रूप से स्थायित्व बनाए रखना बड़ी चुनौती है।
यूपीए काल में बेहतर जीडीपी के आंकड़ों के कथित विवाद पर राजन ने कहा कि अभी हमें आगे देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत करीब 7.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। पूर्व गवर्नर ने कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चालू खाता घाटा नहीं बढ़े और राजकोषीय स्थायित्व बना रहे। बैड लोन बढ़ने से जुड़े सवाल पर राजन ने कहा कि बैंकों के प्रशासन में सुधार की जरूरत है। जुलाई में भारत का व्यापार घाटा पांच सालों के सर्वोच्च स्तर 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। इस वजह से चालू खाता घाटा के फ्रंट पर चिंता जाहिर की जा रही हैं। वित्त मंत्रालय के एक टॉप अधिकारी ने बताया कि सरकार इस वित्तीय वर्ष के राजकोषीय लक्ष्य को हासिल कर लेगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि महंगे क्रूड की वजह से चालू खाता घाटे को लेकर लक्ष्य से पीछे भी रहने की आशंका है।