नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसलों के लिहाज से बुधवार का दिन बेहद खास है। सुबह कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने के बाद एक के बाद एक अबतक कुल तीन बड़े फैसले आ चुके हैं। प्रमोशन में आरक्षण के बाद आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता पर सर्वोच्च अदालत का फैसला आया। अब सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अनुमति भी दे दी है। सुबह 10 बजे के बाद सुप्रीम कोर्ट से पहला फैसला प्रमोशन में आरक्षण को लेकर आया। शीर्ष अदालत ने सीधे तौर पर प्रमोशन में आरक्षण को खारिज न करते हुए इसे राज्यों पर छोड़ दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो वे प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की यह अर्जी खारिज कर दी कि एससी-एसटी को आरक्षण दिए जाने में उनकी कुल आबादी पर विचार किया जाए। इस पर सियासी दलों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। यूपी की पूर्व सीएम ने कहा है कि फैसला स्वागतयोग्य है क्योंकि कोर्ट ने कोई पाबंदी नहीं लगाई है। ऐसे में सरकारें प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। माना जा रहा है कि इस पर सियासत शुरू हो सकती है।
प्रमोशन पर आरक्षण के फैसले की खबर आए अभी कुछ ही मिनट हुए थे कि सुप्रीम कोर्ट से बहुचर्चित आधार मामले पर बड़ा फैसला आ गया। कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि आधार कहां जरूरी है और कहां नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार को अनिवार्य बनाना जरूरी नहीं है। कोई भी मोबाइल कंपनी आधार कार्ड की डिमांड नहीं कर सकती है। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि आधार कार्ड की ड्यूप्लिकेसी संभव नहीं है और इससे गरीबों को ताकत मिली है। फैसले में कहा गया, ‘शिक्षा हमें अंगूठे से दस्तखत पर लाती है और तकनीक हमें अंगूठे के निशान पर ले जा रही है।’ आपको बता दें कि आधार पर देश में काफी समय से बहस चल रही थी। अब इस फैसले से आधार पर जारी सियासी दंगल भी थम जाएगा। अब तक हम कोर्ट के फैसलों को पढ़कर ही जानते आए हैं पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अहम मामलों की सुनवाई हम लाइव देख सकेंगे। इस बाबत बुधवार दोपहर में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरा बड़ा फैसला दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया कि इस प्रक्रिया की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होगी। कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग से अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता आएगी और यह जनहित में होगा। आपको बता दें कि समय-समय पर समाज के भीतर से ऐसी मांग उठती रही है कि कोर्ट की कार्यवाही को लाइव किया जाए, जिससे जनता को पता चल सके कि वकील किस तरह से अपना पक्ष रख रहे हैं। इसके लिए पश्चिमी देशों का भी हवाला दिया गया था।