नई दिल्ली। कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमत और गिरता रुपया दोनों ही चीज इस वक्त भारत की परेशानी बने हुए हैं। इससे निपटने के लिए आनेवाले दिनों में सरकार कोई ठोस कदम उठा सकती है। इसमें तेल के आयात में कमी करने पर भी विचार किया जा रहा है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है और भारत ईरान से बड़ी मात्रा में तेल खरीदता है। नवंबर से ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए गए ताजे प्रतिबंध फिर से लागू हो जाएंगे। इसके बाद ईरान से तेल खरीदना वैसे भी भारत के लिए आसान नहीं होगा। ऐसे में ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के दाम और बढ़ने की आशंका है। तेल के दामों पर ग्लोबल वजहों का असर अभी से देखने को मिल रहा है। बेहद कम वक्त में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। मुंबई में मंगलावर को पेट्रोल 90 रुपए लीटर से भी पार हो गया था। दूसरी तरफ रुपया भी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर रहा है। सोमवार को यह डॉलर के मुकाबले 29 पैसे लुढ़क कर 72.49 रुपये प्रति डॉलर पर रह गया था। इसे देखते हुए भारत कच्चे तेल के आयात को कम करने की बात सोच रहा है। हालांकि, इससे तेल की कीमत और बढ़ेगी या उसका कोई विकल्प खोजा जाएगा या नहीं इसपर कुछ साफ-साफ सामने नहीं आया है। बता दें कि इंडियन रिफाइनरीज के अधिकारियों ने यह फैसला 15 सितंबर को हुई एक मीटिंग में लिया था। मामले की जानकारी रखनेवाले एक अधिकारी ने बताया कि सबसे पहले वे कच्चे तेल की मांग (खरीद) को कम करनेवाले हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि ऐसा बेहद कम वक्त के लिए किया जाएगा।
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