कोलंबो। श्रीलंका के पुनर्निर्माण के कथित लक्ष्यों को सामने रख चीन एक बार फिर इस प्रायद्वीपीय मुल्क पर प्रभाव मजबूत करने की कोशिशों में जुट गया है। चीन दशकों तक चले सिविल वॉर से प्रभावित रहे उत्तरी श्रीलंका में घर और सड़क बनाना चाहता है। चीन इस तरह दक्षिणी श्रीलंका से परे भी अपना दायरा बढ़ाने की जुगत में भिड़ गया है। श्रीलंका का यह कदम भारतीय हितों से टकराव के रूप में भी है क्योंकि भारत वहीं हाउजिंग प्रॉजेक्ट चला रहा है।
हिंद महासागर क्षेत्र के इस देश में चीन का यह नया कदम उस समय सामने आ रहा है जब दक्षिणी श्रीलंका में उसके बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट आलोचना का शिकार हो रहे हैं। चीन पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह श्रीलंका को अपने लोन ट्रैप में लेने की कोशिश कर रहा है और उसके इन्वेस्टमेंट से श्रीलंका भारी कर्जे में घिर जाएगा। कोलंबो में चीनी दूतावास के राजनीतिक विभाग के चीफ लू चोंग का कहना है कि चीन पूर्वी और उत्तरी श्रीलंका के पुनर्निर्माण में मदद करना चाहता है। श्रीलंका का यह क्षेत्र 26 साल तक सरकार और तमिल अल्पसंख्यकों (लिट्टे) के बीच चले संघर्ष से प्रभावित था। श्रीलंका का यह गृहयुद्ध 209 में खत्म हुआ था। लू चोंग ने रॉयटर्स को बताया कि अब वहां स्थितियां अलग हैं इसलिए उनका मुल्क नॉर्थ और ईस्ट के दूरदराज इलाकों में स्थानीय सरकार के समर्थन से ज्यादा प्रॉजेक्ट चलाना चाहता है। इसी क्रम में अप्रैल महीने में चीन की सरकारी कंपनी चाइना रेलवे पेइचिंग इंजिनियरिंग ग्रुप कंपनी लिमिटेड ने श्रीलंका के जाफना जिले में 40 हजार घर बनाने का 30 करोड़ डॉलर से अधिक का प्रॉजेक्ट हासिल किया था। चीन का एग्जिम बैंक इस काम के लिए धन मुहैया करा रहा है। हालांकि स्थानीय लोगों द्वारा कंक्रीट की जगह ईंट की इमारतों की मांग करने के बाद इस प्रॉजेक्ट में पेच फंस गया। यहां श्रीलंका में चीन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में मौजूद भारत के लिए एक नई राह खुली। स्थानीय तमिल नैशनल अलायंस के विधायक एमम सुमंथिरन ने हताया है कि इस हाउजिंग प्रॉजेक्ट के लिए अब भारत से बात चल रही है। भारत पहले फेज के रीकंस्ट्रक्शन में उत्तरी श्रीलंका में पहले ही 44000 घर बना चुका है। श्रीलंका कैबिनेट के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने रॉयटर्स को बताया कि चीन घरों, सड़कों और जल संग्रह सुविधा के निर्माण के लिए प्रतिद्वंद्वियों से कम कीमत का ऑफर दे रहा है। अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर एक मंत्री ने कहा कि चीन ग्रामीण इलाकों में लिंक रोड और पानी से जुड़े प्रॉजेक्ट्स को पूरा करने के लिए तत्पर है। उधर, भारत और श्रीलंका के संबंध काफी पुराने हैं। भारत के अपने दक्षिणी हिस्से से काफी नजदीक स्थित इस मुल्क के साथ सांस्कृतिक और संजातीय (तमिल) संबंध भी हैं। हालांकि हाल के सालों में चीन ने भारत और श्रीलंका के खास संबंधों में अपना भी स्पेस बना लिया है। श्रीलंका में भवन, बंदरगाह, पावर प्लांट्स और हाइवे बनाने की चीन की योजना उसके ‘मोतियों की माला’ रणनीति का ही एक हिस्सा है। इस रणनीति के तहत श्रीलंका एशिया भर में दोस्ताना बंदरगाहों का नेटवर्क तैयार कर रहा है।