नई दिल्ली। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट की निगरानी में कबड्डी का मैच तो हुआ लेकिन सिर्फ बेस्ट खिलाड़ियों के सिलेक्शन के लिए। एशियाड में भाग लेकर लौटी कबड्डी टीम न तो स्टेडियम में आई और न ऐसे किसी मैच की तारीख और वक्त अभी तक तय हुआ है। मतलब ऐतिहासिक बताकर जिस मैच की हवा फैलाई गई, उसका भविष्य तय नहीं है। हाई कोर्ट के 2 अगस्त के आदेश के मुताबिक अमेचर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इस दिन स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के सहयोग और हाई कोर्ट ऑब्जर्वर जस्टिस (रिटायर्ड) एस पी गर्ग की निगरानी में तय समय से इस चयन प्रक्रिया की शुरुआत की लेकिन स्टेडियम पहुंचने पर दो पक्ष सबसे ज्यादा असमंजस में दिखे।
पहले, वो खिलाड़ी जिन्हें यह कहकर बुलाया गया था कि उन्हें एशियन गेम्स में भाग लेकर लौटी कबड्डी टीम के साथ मुकाबला करना है। दूसरे, मीडियाकर्मी जो हाई कोर्ट की निगरानी में ऐतिहासिक मैच होने की सूचना पाकर वहां सुबह जमा हुए थे। बातचीत से पता चला कि न तो खिलाड़ियों को कोर्ट के आदेश के बारे में सही जानकारी थी और न मीडियाकर्मियों तक सही सूचना पहुंचाई गई, जिससे इस दिन ऐतिहासिक मैच की हवा महज एक अफवाह बनकर रह गई। जिनकी याचिका पर हाई कोर्ट यह चयन प्रक्रिया करवा रहा था, उनसे जब इसका जवाब मांगा गया तो उन्होंने खुद छले जाने का दावा किया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह तो जरूर कहा है कि खिलाड़ियों का चयन पारदर्शी प्रक्रिया के तहत ही होना चाहिए और देश के हर कबड्डी खिलाड़ी को मुकाबले के लिए भारतीय टीम में चुने जाने का निष्पक्ष रूप से मौका मिलना चाहिए। कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस दिन अमेचर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया को सिर्फ खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा प्रक्रिया का आयोजन कैसे और किस तरह हो, उसकी जानकारी पूरे देश के कबड्डी खिलाड़ियों तक पहुंचाई जाए। उसके लिए कुछ निर्देश जारी किए गए थे। इस प्रक्रिया को सुपरवाइज कर रहे जस्टिस(रिटायर्ड) एसपी गर्ग ने कहा, ‘मैं हाई कोर्ट के आदेश अनुसार ही यहां आया हूं। ट्रायल के आधार पर 12-12 महिला-पुरुष खिलाड़ियों का चयन होगा और उसकी रिपोर्ट कोर्ट को दी जाएगी।’
