वॉशिंगटन। भारत न सिर्फ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, बल्कि बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम कर्ज लेनेवाला देश भी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी कहा है कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत पर कर्ज का बोझ कम है। इस अंतरराष्ट्रीय संस्था के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि 2017 में वैश्विक ऋण 1 लाख 82 हजार अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया है। आईएमएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने कहा कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत में भारत का कर्ज वैश्विक कर्ज से कम है। इससे पहले आईएमएफ ने कहा था कि भारत की जीडीपी ग्रोथ के मामले में सबसे अव्वल रहेगा।
आईएमएफ के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2017 में भारत में निजी ऋण (प्राइवेट लोन) जीडीपी का 54.5 प्रतिशत था, जबकि सरकार का कर्ज 70.4 प्रतिशत था। कुल लोन जीडीपी का 125 प्रतिशत था। वहीं चीन पर लोन जीडीपी का 247 प्रतिशत है। गैस्पर ने कहा कि ऐसे में भारत पर ऋण वैश्विक जीडीपी के प्रतिशत में काफी कम है। उन्होंने बताया कि भारत का कर्ज विकसित अर्थव्यवस्थाओं के औसत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के औसत से कम है। उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से विकसित अर्थव्यवस्थाओं के कर्ज में बड़ा इजाफा हुआ है। गैस्पर ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत का निजी कर्ज जीडीपी के 60 प्रतिशत से घटकर 54.5 प्रतिशत पर आ गया है, जो काफी स्थिर है। गैस्पर के मुताबिक, उभरते बाजारों में सार्वजनिक ऋण की तुलना में निजी ऋण ज्यादा तेजी से बढ़ा है।