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व्हाइट हाउस में हुई चार राष्ट्राध्यक्षों की पहली इन-पर्सन मीटिंग

वॉशिंगटन,25 सितंबर। क्वॉड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के राष्ट्राध्यक्षों की पहली इन-पर्सन मीटिंग शुक्रवार को व्हाइट हाउस में हुई। इस बैठक में शामिल प्रधानमंत्री मोदी ने क्वॉड की पहली इन-पर्सन बैठक बुलाने के लिए बाइडेन का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि हमारा वैक्सीन इनिशिएटिव इंडो-पैसिफिक देशों की बड़ी मदद करेगा। मोदी ने कहा कि क्वॉड एक ‘फोर्स फॉर ग्लोबल गुड’ की तरह काम करेगा। मुझे विश्वास है कि क्वॉड में हमारा सहयोग हिंद-प्रशांत के साथ-साथ पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। क्वॉड वैक्सीन पहल से इंडो-पैसिफिक देशों को मदद मिलेगी। क्वॉड ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। क्वॉड आपूर्ति श्रृंखला, वैश्विक सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी जैसे कई मुद्दों पर पर मिलकर काम कर रहा है। चारों क्वॉड देश भारत-प्रशांत क्षेत्र की मदद के लिए 2004 की सुनामी के बाद पहली बार मिले हैं। आज, जब दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है, हम एक बार फिर मानवता के कल्याण के लिए साथ आए हैं। बाइडेन ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मॉरिसन, मोदी और सुगा का व्हाइट हाउस में हो रही पहली इन-पर्सन क्वॉड बैठक में स्वागत करता हूं। यह लोकतांत्रिक देशों का समूह है, जिनके हित एक हैं। चारों देश इस समय एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हम एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विश्वास करते हैं। वैक्सीनेशन के इनिशिएटिव को लेकर हमारा प्लान ट्रैक पर है। हम भारत में 1 बिलियन डोज का जल्द उत्पादन करेंगे ताकि ग्लोबल सप्लाई बेहतर हो सके। 6 महीने पहले हमने फ्री इंडो-पैसिफिक के एजेंडे पर काम करना शुरू किया था। आज यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम इस रास्ते पर काफी आगे बढ़ गए हैं। बाइडेन ने नई क्वॉड फैलोशिप का ऐलान किया। यह भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के छात्रों को मिलेगी। क्वॉड ग्रुप से यह साबित होता है कि लोकतंत्र देश मिलकर कितनी अच्छी तरह से काम कर सकते हैं। दुनिया का कोई भी हिस्सा इस समय इंडो-पैसिफिक से ज्यादा गतिशील नहीं है। पहली बार चारों देश इन-पर्सन क्वॉड लीडर्स समिट के लिए आए हैं। यह समिट हमारे साझा संबंधों और एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सुगा ने बाइडेन से कहा कि अमेरिका ने जापानी खाद्य उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे अप्रैल में अनुरोध करने के बाद हटा दिया गया। यह एक बहुत बड़ा कदम है, जो आपने उठाया, इसके लिए धन्यवाद। भारत ही नहीं बल्कि क्वाड के बाकी तीनों देश भी चीन की नीतियों को लेकर चिंतित हैं। यही वजह है कि हिंद-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) क्षेत्र में चीन को कंट्रोल करने के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने पिछले हफ्ते सुरक्षा समझौता (AUKUS) किया है। हालांकि, इसमें भारत और जापान शामिल नहीं हैं, बल्कि अमेरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने यह पार्टनरशिप की है। फिर भी यह भारत और जापान के लिहाज से भी काफी अहम है, क्योंकि ये सभी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल पर लगाम लगाना चाहते हैं। विश्लेषकों का ये भी कहना है कि क्वाड के फ्रेमवर्क में भारत के कुछ अहम मुद्दों का अब तक समाधान नहीं हो पाया है। इनमें से एक प्रमुख मुद्दा चीन के साथ सीमा विवाद से जुड़ा है। इसके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन के निवेश को लेकर भी लंबे समय से भारत की चिंताएं बरकरार हैं। चीन अब अफगानिस्तान में अपना दखल बढ़ा रहा है, भारत के लिए यह भी एक मुद्दा है।

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