नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदा जहां भाजपा के गले की फांस बनता जा रहा है। वहीं कांग्रेस इस मामले को कमजोर पड़ने देना नहीं चाहती है। इसलिए मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने राफेल विमान के मसले को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें उन्होंने सवाल उठाया कि जब 126 राफेल खरीदने का प्रस्ताव था तो इसे घटाकर केवल 36 ही क्यों कर दिया गया। एके एंटनी ने कहा कि हमारी सरकार के अंतिम दिनों में राफेल सौदा लगभग पूरा हो गया था। 2014 में जब एनडीए सरकार आई तो 10 अप्रैल 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का एकतरफा फैसला लिया गया। जब भारतीय वायुसेना ने 126 विमान मांगे थे तो प्रधानमंत्री ने इसे घटाकर 36 क्यों कर दिया। उन्हें इसपर जवाब देना चाहिए।
एंटनी ने कहा, हाल ही में कानून मंत्री ने दावा किया कि नई सरकार में राफेल विमान का सौदा यूपीए की तुलना में 9 प्रतिशत सस्ते में हुआ। विदेश मंत्री ने इसे 20 प्रतिशत सस्ता बताया। भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने इसे 40 प्रतिशत सस्ता बताया। यदि यह सौदा सस्ता है तो उन्होंने 126 से ज्यादा विमान क्यों नहीं खरीदे? उन्होंने केंद्र से पूछा कि यदि यूपीए की डील खत्म नहीं की जाती तो हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) को अति आधुनिक तकनीक ट्रांसफर पाने का मौका मिल जाता। अब उसे यह अनुभव नहीं मिलेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत ने एक बहुत बड़ा मौका खो दिया है। उनका दावा है कि एचएएल इन विमानों का निर्माण करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हमारी पहले दिन से मांग है कि इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (सीवीसी) को करनी चाहिए। सीवीसी का यह संवैधानिक दायित्व है कि वो पूरे मामले के कागजात मंगवाएं और जांच करके इसकी जानकारी संसद में रखे।
