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भारतवंशी जगमीत सिंह होंगे कैनेडा में किंग मेकर

टोरंटो,23 सितंबर। कैनेडा के चुनावी समर में जीत के बाद जस्टिन ट्रूडो तीसरी बार कैनेडा के प्रधानमंत्री बनेंगे। जीत के बाद ट्रूडो की लिबरल पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, लेकिन बहुमत से चूक गई। ट्रूडो को 338 सीटों वाले निचले सदन में 156 सीटें मिलीं। ट्रूडो को सरकार गठन में 14 और सीटों के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के जगमीत सिंह सरकार गठन में किंगमेकर की भूमिका में होंगे। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के पास 27 सीटें हैं।
कैनेडा के प्रमुख विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी को 122 सीटें मिली हैं। कैनेडा के चुनावों में इस बार 17 भारतवंशियों ने जीत दर्ज की है। रक्षा मंत्री हरजीत सिंह ने वैंकूवर दक्षिण से कंजर्वेटिव पार्टी के सुखबीर गिल को हराया। ट्रूडो ने इस बार समय से पूर्व चुनाव कराने का दांव भी चला था लेकिन यह उतना कारगर साबित नहीं हुआ कि ट्रूडो को स्पष्ट बहुमत प्रदान कर पाए।
कोरोना की चौथी लहर की आशंका और कोरोना काल के दौरान लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। सरकार के खिलाफ लोगों में असंतोष भी पनपा। इसके बावजूद ट्रूडो अपनी लिबरल पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में लाने में सफल रहे। माना जा रहा है कि ट्रूडो जल्द ही बड़े राहत पैकेज का ऐलान करेंगे।
हालांकि कैनेडियन जनता ने लूडो सरकार को फिलहाल अभयदान तो दे दिया है लेकिन पूर्ण बहुमत हासिल करने की कसक जस्टिन ट्रूडो के मन में ही बनी रही है। इन चुनाव परिणामों में भले ही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी से सीटों के मामले में आगे रही लेकिन पापुलर वोट में वे इस बार कंजर्वेटिव पार्टी से पिछड़़ गए। चुनाव नतीजों में लिबरल पार्टी को 31.8 फीसदी जबकि प्रमुख विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी को 34.1 फीसदी वोट मिले। इससे यह जाहिर होता है कि ट्रूडो की लिबरल पार्टी को जन समर्थन में कमी आई है जो कहीं ना कहीं पार्टी के राजनीतिक भविष्य के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। ट्रूडो यह बात जानते हैं, इसीलिए वह ऐसी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे जो उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़े। सूत्रों के अनुसार चुनाव परिणाम को देखते हुए जस्टिन ट्रूडो ने अपने मंत्रिमंडल में कुछ फेरबदल पर विचार करने के लिए कोर कमेटी की बैठक बुलाने का मन बनाया है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी के वोट प्रतिशत में आई कमी को देखते हुए संगठन तथा सरकार में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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