देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को गाय को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित किए जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। प्रदेश की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने राज्य विधानसभा में यह प्रस्ताव रखते हुए कहा, ‘यह सदन भारत सरकार से अनुरोध करता है कि गाय को राष्ट्रमाता घोषित किया जाए।’ रेखा ने कहा कि गाय को मां का रूप माना गया है और किसी बच्चे को मां का दूध उपलब्ध न होने पर गाय के दूध को वैज्ञानिक दृष्टि से भी उसका सर्वश्रेष्ठ विकल्प माना गया है।
मंत्री ने कहा कि गाय हमारी आस्था की प्रतीक है और उसमें 33 करोड़ देवी—देवताओं का वास माना गया है, जिसके दर्शन से ही सारे पाप दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर और गौमूत्र में औषधीय गुण भी हैं और वह एकमात्र ऐसा पशु है जो न केवल ऑक्सीजन ग्रहण करता है बल्कि ऑक्सीजन छोड़ता भी है। उन्होंने कहा कि अगर गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाता है तो उससे उत्तराखंड सहित देश के 20 राज्यों में लागू गोवंश सरंक्षण कानून पूरे देश में लागू होगा और उसके संरक्षण के प्रयासों को और बल मिलेगा। रेखा की इस बात का सत्ता पक्ष और विपक्षी कांग्रेस के कई सदस्यों ने भी समर्थन किया। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि राष्ट्रमाता का दर्जा देने के बाद भी गाय को अपमानित न होना पडे़ और वह कहीं इधर-उधर भूख से व्याकुल घूमती या दम तोड़ती न दिखाई दे। चर्चा के बाद, सत्ता पक्ष भाजपा और मुख्य विपक्ष कांग्रेस सहित पूरे सदन ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
जानकारी के मुताबिक पशुपालन विभाग की सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम ने दावा कि आने वाले एक दशक में आवारा पशुओं की जनसंख्या कम हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘लगभग 75% आवारा पशु नर हैं। पिछले महीने, हमने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत इंगुरन सेक्सिंग टेक्नोलॉजी की मदद से सेक्स सॉर्ट किए गए वीर्य का उत्पादन शुरू किया। यह आवारा पशुओं की आबादी को कम करने में मदद करेगा।’ सुंदरम ने आगे कहा, ‘राज्य गाय आश्रयों को वित्तीय सहायता भी दे रहा है। एक दशक में, हम 20-25% आवारा पशुओं को कम करने में सक्षम होंगे।’
