लखनऊ। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने जहां भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद से किनारा कर लिया है, वहीं कांग्रेस उनके साथ भाईचारा दिखा रही है। चंद्रशेखर के ‘बुआ’ कहने पर मायावती ने उन्हें आड़े हाथों लिया, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने चंद्रशेखर को दलित-मुस्लिमों का नेता बताया खासकर पश्चिमी यूपी क्षेत्र में। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी भी चंद्रशेखर को महागठबंधन में शामिल करने में दिलचस्पी दिखा रही है। अखिलेश यादव ने रविवार को कहा था कि बीजेपी के खिलाफ जो भी महागठबंधन को मजबूती दे सकते हैं उन सभी का स्वागत है। हालांकि, एक दिन बाद पार्टी ने चंद्रशेखर पर सवालों को टाल दिया। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पश्चिमी यूपी के दिग्गज नेता इमरान मसूद ने कहा कि कांग्रेस और चंद्रशेखर बीजेपी को हटाने के लिए एक जैसा लक्ष्य साझा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं तो चंद्रशेखर जी के साथ पहले दिन से हूं… हम दोनों का मकसद भी एक है और दुश्मन भी और वो है बीजेपी।’ बता दें कि चंद्रशेखर के खिलाफ यूपी सरकार की तरफ से रासुका के तहत मामला दर्ज हुआ था और पिछले साल सहारनपुर और शब्बीरपुर गांव में हिंसा फैलाने के आरोप में उन्हें 15 महीने की जेल हुई थी। पिछले हफ्ते ही उनकी रिहाई हुई है।
मायावती ने उस समय शब्बीरपुर गांव का दौरा किया था और भीम आर्मी की आलोचना करते हुए खुद को उनसे दूर बताया था। वहीं, दूसरी तरफ इमरान मसूद न सिर्फ चंद्रशेखर की रिहाई की वकालत की बल्कि कांग्रेस विधायक मसूद अख्तर और नरेश सैनी के साथ उनके गांव का दौरा भी किया था। चंद्रशेखर आजाद ने दलित-मुस्लिम एकता का हवाला देते हुए उन्हें अपना भाई बताया था। मसूद ने कहा कि चंद्रशेखर मायावती का काफी सम्मान करते हैं लेकिन उनके खिलाफ मायावती के बयान ने उनकी उम्मीदों को बिखेर दिया है। उन्होंने विपक्ष के प्रत्याशित महागठबंधन को तोड़ने के लिए बीजेपी पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया है। वह कहते हैं, ‘मायावती जी की तरह चंद्रशेखर ने विपक्ष की एकता की संभावनाओं पर खुशी जताई है।’
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