नई दिल्ली। ईरान से तेल आयात होगा या नहीं, भारत इसका फैसला अमेरिका से बातचीत के बाद लेगा। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया। पेट्रोल–डीजल के बढ़ते दामों और ईरान से तेल आयात पर अमेरिकी बैन की तारीख नजदीक आने के बीच पीएम ने तेल सेक्टर की रिव्यू मीटिंग की। पेट्रोलियम, वित्त और विदेश मंत्रालय भी मीटिंग में शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने जहां देश में तेल और गैस का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया, वही तेल कंपनियों पर वित्तीय बोझ न डालने पर भी चर्चा की। इसकेसाथपीएममोदीनेइसबातपरचर्चाकीकिप्रतिबंधकीतारीखकेबादभीईरानसेतेलआयातकिसतरहसेजारीरखाजासकताहैऔरऐसाहोनेपरकिसतरहकेहालातबनसकतेहैं।सूत्रोंकेअनुसाररिव्यूमीटिंगमेंसहमतिबनीकिइसबारेमेंअमेरिकाकेसाथबातचीतकेबादकोईफैसलालियाजाएगा।कोशिशकीजाएगीकिईरानकेसाथतेलआयातजारीरहे।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत के ईरान से 4 नवंबर के बाद तेल आयात जारी रखने और रूस से हवाई रक्षा प्रणाली एस-400 खरीदने के फैसले का वह ‘बहुत ही सावधानीपूर्वक‘ समीक्षा कर रहा है। मंत्रालय की राय है कि ये भारत के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगा। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि हमारी नीतियां बिल्कुल स्पष्ट हैं। अमेरिका ईरान से तेल का निर्यात पूरी तरह से रोकना चाहता है। अमेरिका ने 2015 में शुरु हुए बहुपक्षीय समझौते से बाहर आने के फैसले के साथ ईरान से तेल खरीद पर प्रतिबंध लगाया था। अमेरिका ने सभी सहयोगियों को 4 नवंबर तक ईरान से तेल की खरीद पूरी तरह बंद करने को कहा था। जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर नुअर्ट से पूछा गया कि रिपोर्ट हैं कि भारत 4 नवंबर के बाद भी ईरान से तेल की खरीद जारी रखेगा, तो नुअर्ट ने कहा कि यह ‘मददगार‘ साबित नहीं होगा। चारनवंबरकेबादकेहालातपरमंथनकेलिएईरानमामलोंपरअमेरिकाकेविशेषप्रतिनिधिब्रायनहुकइसीहफ्तेदिल्लीआरहेहैं।वहभारतकेअलावायूरोपकीभीयात्राकरेंगे।