काबुल,22 सितंबर। अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर यूरोपीय संघ (ईयू) के आरोपों के बाद तालिबान अब सौदेबाजी पर उतर आया है। तालिबान ने कहा है कि पहले यूरोपीय संघ नई इस्लामी अमीरात सरकार को मान्यता दे। इसके बाद हम मानवाधिकारों पर ईयू की चिंताओं को दूर करेंगे।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के कार्यवाहक कैबिनेट के सूचना और संस्कृति मंत्रालय के उप मंत्री जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय नई सरकार को मान्यता देता है तो वे मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों पर चिंताओं को दूर करेंगे। मुजाहिद ने कहा कि हमें जाने बिना अधिकारों के उल्लंघन को लेकर हमारी आलोचना की जाती है। यह एकतरफा दृष्टिकोण है। यह उनके लिए अच्छा होगा कि वे हमारे साथ जिम्मेदारी से व्यवहार करें और हमारी वर्तमान सरकार को एक जिम्मेदार प्रशासन के रूप में मान्यता दें। मुजाहिद ने आगे कहा कि वे अपनी चिंताओं को हमारे साथ कानूनी रूप से साझा कर सकते हैं और हम उनकी चिंताओं का समाधान करेंगे। मुजाहिद ने यह टिप्पणी अफगानिस्तान में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख एंड्रियास वान ब्रांट के बयान के बाद आई है। ब्रांट ने रविवार को कहा था कि यूरोपीय संघ अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि ईयू विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के शिक्षा और काम के अधिकार के उल्लंघन को लेकर ज्यादा चिंतित है। अफगानिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग, (एआइएचआरसी) ने एक बयान जारी कर कहा कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से तालिबान अपने कर्तव्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। आयोग ने यह भी कहा कि तालिबानी बलों ने आयोग के कार्यालयों पर कब्जा कर लिया है और वहां के उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। इससे पहले ह्यूमन राइट्स वॉच और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने तालिबान बलों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। लेकिन तालिबान ने हमेशा की तरह ही इन आरोपों को भी खारिज किया था। संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि इस हिंसा के कारण अफगानिस्तान में 6.35 लाख लोग बेघर हो गए। इनमें से 12,000 से अधिक हाल ही में काबुल में विस्थापित हुए थे जो पंजशीर प्रांत से थे। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने कहा कि विश्व संगठन और उसके सहयोगी 2021 की पहली छमाही में ऐसे 80 लाख लोगों तक पहुंच चुके हैं। वहीं काबुल में लगभग 1,300 विस्थापित लोगों को सहायता मिलने वाली है। पाकिस्तान सरकार भी अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अफगानिस्तान में नए तालिबान शासन को समझना चाहिए कि अगर वे मान्यता और युद्धग्रस्त देश को फिर से बनाने में मदद चाहते हैं तो उन्हें अधिक संवेदनशील और अंतरराष्ट्रीय नियम कायदों को लेकर अधिक संवेदनशील होना होगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें अधिवेशन में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क गए कुरैशी ने पत्रकारों से ये बातें कही हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि तालिबान शासन को मान्यता देने से पहले विभिन्न देश ये देख रहे हैं कि अफगानिस्तान में कैसे चीजें घट रही हैं। कुरैशी ने उम्मीद जताई कि तालिबान अपने वादों पर कायम रहेंगे और लड़कियों और महिलाओं को स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय जाने की अनुमति देंगे।
