नई दिल्ली,20 सितंबर। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। कांग्रेस आलाकमान ने रविवार को चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की थी। कांग्रेस के इस फैसले ने कई लोगों को हैरानी में डाल दिया। दरअसल, मुख्यमंत्री की रेस में सुनील जाखड़ का नाम सबसे आगे चल रहा था। माना जा रहा था कि कैप्टन की जगह जाखड़ ही लेंगे, लेकिन अंत में कहानी बदल गई। पंजाब की इस सियासी उलटफेर के पीछे राहुल गांधी की अहम भूमिका मानी जा रही है। जानकारों का कहना है कि पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति पर पिछले चार महीने से काम चल रहा था। वहीं, राज्य में सियासी हलचल बीते एक महीने से काफी तेज हो गई थी। नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री अमरिंदर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।कैप्टन पर सिद्धू लगातार निशाना साधते रहे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया। इसके उलट सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। इससे पता चलता है कि सिद्धू को राहुल और प्रियंका गांधी का पूरा सपोर्ट मिला है। पंजाब के लिए सिद्धू ही इनकी पहली पसंद माने जाते हैं। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव सिद्धू की अगुवाई में लड़ने की घोषणा कर दी है। रावत ने कहा कि इसे लेकर निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष लेंगी, लेकिन मौजूदा स्थितियों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तहत मुख्यमंत्री कैबिनेट के साथ चुनाव लड़ा जाएगा, जिसके प्रमुख सिद्धू बेहद लोकप्रिय हैं। कांग्रेस में मची कलह के बीच पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी शिमला में हैं। वहां उनकी बेटी प्रियंका गांधी पहले से मौजूद हैं। ऐसे में साफ हो जाता है कि पंजाब कांग्रेस की राजनीति में फिलहाल जो कुछ भी घट रहा है, उसके पीछे राहुल गांधी हैं। राहुल गांधी आज पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राहुल फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की भी चर्चा है। ऐसे में राहुल कुछ बड़े फैसले लेकर खुद को राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी साबित करने की कोशिश में हैं।
कैप्टन के खिलाफ सिद्धू की बगावत से पार्टी के भीतर गुटबाजी काफी तेज हो गई थी। खुद सिद्धू या जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाने से इस गुटबाजी का खत्म होना मुश्किल लग रहा था। राहुल ने हाल ही में पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी, सीनियर नेता अंबिका सोनी और अपने करीबियों के साथ बैठकें की थीं। साथ ही वह पिछले दो दिनों से चंडीगढ़ में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के संपर्क में रहे और सभी पहलुओं को जानते-समझते रहे।
