तिरुवनंतपुरम। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन को पद्म भूषण दिए जाने पर केरल के पूर्व डीजीपी टीपी सेन कुमार ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है, “जिन्होंने उन्हें पुरस्कार दिया है उन्हें उनका (नांबी) का देश के लिए क्या योगदान है ये बताना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसरो में क्या हुआ इसके लिए समिति नियुक्त की। वह कैसे निष्कर्ष निकलने से पहले उन्हें सम्मान दे सकते हैं?” पूर्व डीजीपी ने नांबी को निचले दर्जे का वैज्ञानिक करार दिया है। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि ये घोषणा उस समय की गई है जब सुप्रीम कोर्ट की समिति इसरो जासूसी मामले की देखरेख कर रही है।
पूर्व डीजीपी ने कहा है कि “अगर पद्म पुरस्कारों के लिए यह मानक है, तो गोविंद चामी, अमीरुल इस्लाम (दोनों दो महिलाओं की हत्या के आरोपी) और मरियम रशीदा (नांबी नारायणन के साथ जासूसी मामले में एक आरोपी) जैसे लोगों को अगले साल पद्म पुरस्कार मिलेंगे।'” बता दें नवंबर, 1994 में पाकिस्तान को रॉकेट इंजन की खुफिया जानकारी देने के आरोप में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और क्रायोजनिक प्रोजेक्ट के निदेशक एस. नांबी नारायणन समेत दो वैज्ञानिकों डी. शशिकुमारन और के. चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इन वैज्ञानिकों की गिरफ्तारी को गलत करार दिया था। बेगुनाही का फैसला आने के दो दिन बाद ही के. चंद्रशेखर का निधन हो गया था। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन (77) खुद को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर काफी खुश हैं। उन्होंने शनिवार को इसपर कहा कि आखिरकार भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनके काम को मान्यता मिल ही गई। उन्होंने जासूसी मामले पर कहा कि इन आरोपों से उनका नाम प्रसिद्घ हो गया था लेकिन अब उन्हें खुशी है कि सरकार ने उनके काम को मान्यता प्रदान की है।
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