काबुल,7 सितंबर। तालिबान ने तीसरी बार पंजशीर पर जीत का दावा किया है। वहीं दूसरी ओर, पंजशीर के लड़ाकों का दावा है कि वे अब भी तालिबानियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अब तक दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी जीत के साक्ष्य दुनिया के सामने नहीं रख पाए हैं। 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद से तालिबान लगातार पंजशीर को कब्जाने की कोशिश में है पर उसे अबतक कड़ी टक्कर मिलती रही है। पंजशीर राजधानी काबुल से मात्र 125 किलोमीटर दूर स्थित सबसे छोटे प्रांतों में से एक है। चारों ओर से हिंदुकुश पर्वत चोटियों से घिरे इस प्रांत को तालिबान विरोधियों का पारंपरिक गढ़ माना जाता है, जिसमें सात जिले और करीब डेढ़ लाख लोग रहते हैं। इस प्रांत में तालिबान के खिलाफ नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के जवान खड़े हैं। इस दल में स्थानीय सशस्त्र बल के लोग (मिलिशिया) और पूर्व अफगान सुरक्षा बल शामिल हैं। इसकी संख्या करीब नौ से दस हजार के बीच है। हाल में जारी तस्वीरों से पता लगता है कि ये संगठित ढंग से प्रशिक्षण प्राप्त हैं। सोवियत सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए पंजशीर के अहमद शाह मसूद ने नेशनल रजिस्टेंस फोर्स बनायी थी जो अब तालिबान के खिलाफ मोर्चा ले रही है। 1980 में सोवियत को पंजशीर से भगाने के बाद 1996 से 2001 के बीच चले तालिबानी राज में भी पंजशीर को वे नहीं जीत सके थे। आज की तरह ही तब भी यह प्रांत तालिबान विरोध का केंद्र बना था। 2001 में अमेरिका में आतंकी हमला होने से कुछ दिन पहले तालिबानियों ने मसूद की हत्या कर दी थी।
