नई दिल्ली। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज लेने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही उसका कर्ज 6 अरब डॉलर से बढ़कर 12 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो जाएगा। 1988 के बाद पाकिस्तान 13वीं बार कर्ज ले सकता है। इस्लामाबाद को कर्जदाताओं से धन लेने के साथ आर्थिक सुधारों की ओर भी ध्यान देना होगा। पाक ने केवल 2016 के आईएमएफ कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा किया है। हालांकि उस वक्त भी कई मामलों में उसे छूट दी गई थी। इस बार पाकिस्तान के लिए मुश्किल बड़ी हो सकती है। चीन से लिए गए कर्ज को लेकर पाकिस्तान को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान को यह बात पता है इसलिए उसने कुछ कदम भी उठाए हैं। पाकिस्तान ने अपने रुपये की कीमत कम की है। पाक ने कहा है कि चीन से लिए गए ऋण की जानकारी भी पब्लिश की जाएगी। प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने करंसी डीवैलुएशन से होने वाली मंदी बड़ी चुनौती है। डॉनल्ड ट्रंप द्वारा रक्षा सहयोग में कटौती से पाकिस्तान आर्मी भी परेशान है। पाकिस्तान आर्थिक समस्याओं से गुजर रहा है और इस समय इकनॉमी को पटरी पर लाने का कोई पुख्ता रास्ता नहीं दिख रहा है।