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अस्पताल में ‘जुड़वां’ की कहानी, एक ने दूसरे के लिए लगवाए इंजेक्शन

लखनऊ। जुड़वां भाई, एक जैसी शक्ल और दोनों भाइयों की अदला-बदली। यह सुन किसी जुड़वां भाइयों की बॉलिवुड फिल्म का सीन याद आता है। हालांकि यह बिल्कुल सच है। यूपी की राजधानी लखनऊ में एक ऐसे ही जुड़वां भाइयों के अदला-बदली का केस सामने आया है। दोनों भाइयों ने यह सब कहीं और नहीं, बल्कि केजीएमयू में इलाज कराने के दौरान खुद किया।  बीमार भाई को बाहर जाने का मन किया तो जुड़वां भाई बेड पर लेट गया। उसने न सिर्फ दवाएं खाईं, बल्कि ऑक्सिजन भी लिया और इंजेक्शन्स भी लगवाए। यह बात जब डॉक्टरों को पता चली तो पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

विभाग के एचओडी प्रफेसर सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि चित्रकूटनिवासी शंभू (35) नाम का मरीज 17 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद उसके अंदर डॉक्टरों को टीबी के लक्षण मिले। उसे मेडिकल कॉलेज के पल्मनरी विभाग में भर्ती कराया गया। अगले दिन से ही शंभू को फायदा होने लगा लेकिन उसे ऑब्जर्वेशन के लिए अस्पताल में भर्ती रखना जरूरी थी।  शंभू ने अपने जुड़वां भाई शंकर को अस्पताल में बुला लिया। जब शंभू का बाहर घूमने का मन होता तो वह बेड पर शंकर को लिटाकर घूमने चला जाता। शंकर, शंभू के बेड पर ऑक्सिजन लगाकर लेट जाता। इतना ही नहीं नर्स द्वारा दवा देने पर वह खा लेता और इंजेक्शन भी लगवा लेता। जब शंभू घूमकर आता तो वह बेड पर लेट जाता।  हैरानी वाली बात यह है कि जांच के लिए दिया जाने वाला ब्लड सैंपल भी शंभू की जगह शंकर ही दे देता। डॉक्टर्स ने बताया कि शंभू के टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लिया जाता। डॉक्टर्स जब रिपोर्ट देखते तो हैरान हो जाते। कभी यह रिपोर्ट एकदम सामान्य आ जाती तो कभी रिपोर्ट के अनुसार शंभू बीमार होता। डॉक्टरों को यह माजरा समझ नहीं आ रहा था।

डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि 19 अक्टूबर को शंभू की नर्स से किसी बात को लेकर बहस हो गई तो नर्स ने उन्हें जानकारी दी। उसके बाद केजीएमयू की चौकी में पुलिस को सूचना दी गई। चौकी इंचार्ज ने शंकर को पकड़। दोनों के परिजनों को सूचना दी गई तब दोनों के अदला-बदली की पोल सबके सामने खुली।  शंभू ने पुलिस को बताया कि वह अस्पताल में रुकते हुए ऊब गया था। उसे बाहर जाना था लेकिन डर था कि उसे ऐसे बाहर नहीं जाने दिया जाएगा और कहीं उसका बेड किसी और मरीज को न दे दिया जाए इसलिए उसने अपने भाई को बुलाकर बेड पर लिटाने का प्लान बनाया। डॉक्टरों ने बताया कि 20 अक्टूबर को शंभू की और जांच कराई गई। इसके बाद 21 अक्टूबर को उसे ऑक्सिजन सिलिंडर के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

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