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वैज्ञानिकों ने खोजा हलाल मीट की पहचान का टेस्ट, दुनिया में पहली ऐसी तकनीक का दावा

हैदराबाद। रेस्तरां में परोसा जाने वाला और सुपरमार्केट में हलाल मीट के नाम से बिकने वाला मीट क्या वाकई में हलाल मीट होता है? हैदराबाद के नैशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट (एनआरसीएम) ने दावा किया है कि पहली बार उन्होंने लैबरेटरी टेस्ट डिवेलप किया है। इसके टेस्ट के बाद वैज्ञानिक बता सकेंगे कि मीट हलाल का है या नहीं। एनआरसीएम के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह टेस्ट उन्होंने हलाल की गई एक भेड़ और बिजली के झटके से मारी गई भेड़ पर किया। इस टेस्ट के बाद दोनों भेड़ों के मीट में बहुत ज्यादा अंतर पाया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि सूक्ष्म स्तर पर दोनों का मीट काफी अलग है।
हलाल की गई भेड़ के मीट में प्रोटीन का विशेष समूह पाया गया जो झटके वाले मीट में अलग था। इसी बदलाव के आधार पर अब वैज्ञानिक बता सकेंगे कि हलाल मीट के नाम से बेचा जा रहा मीट वाकई में हलाल का है या नहीं। वैज्ञानिकों का दावा है कि हलाल मीट की पहचान करने का यह दुनिया का पहला टेस्ट है। वैज्ञानिकों ने बताया कि रक्त जैव रासायनिक मानकों और प्रोटीन स्ट्रक्चर (प्रोटीमिक प्रोफाइल) की जांच के आधार पर हलाल मीट की पहचान की जा सकती है। जांच के इस तरीके को ‘डिफरेंस जेल इलेक्ट्रोफॉरेसिस’ कहते हैं। इसके आधार पर दोनों मीट के मसल्स प्रोटीन में अंतर निकाला जा सकता है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि जानवरों को काटने से पहले उनमें जो तनाव होता है उसके आधार पर भी मीट की पहचान की जा सकती है।

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