अमेरिका महाशक्ति है। हाल के वर्षों में हालात ऐसे बनते चले गए हैं, जिसमें अमेरिका की जनता में दुनिया की प्रमुख महाशक्ति का बाशिंदा होने को लेकर फख़्र घटता चला गया है। खास कर ऐसा डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद हुआ। फिलहाल, रिकॉर्ड महंगाई, राजनीतिक तनाव, और तीखे होते सामाजिक ध्रुवीकरण के कारण इस समय देश में मायूसी का माहौल है। इस बात का इजहार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जारी एक जनमत सर्वेक्षण रिपोर्ट से हुआ। उससे सामने यह आया कि अमेरिका वासियों में अपने देश पर गर्व की भावना में तेजी से गिरावट आई है। सर्वे एजेंसी गैलप ने ये रिपोर्ट जारी की है। गैलप २००१ से हर साल स्वतंत्रता दिवस से पहले ऐसी एक सर्वे रिपोर्ट जारी करती है। इस बार की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ ३८ फीसदी अमेरिकियों ने कहा कि वे अपने देश पर काफी गर्व महसूस करते हैं। बीते २० साल में गौरव महसूस करने वाले लोगों का औसत ५५ फीसदी रहा है।
स्पष्टत: इस बार ऐसी राय जताने वाली लोगों की संख्या में काफी गिरावट आई है। फिलहाल, अमेरिका में गर्भपात का अधिकार तनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। बीते २४ जून को सुप्रीम को ४९ साल पुराने उस फैसले को पलट दिया, जिसमें गर्भपात को वैध ठहराया गया था। बहरहाल, गैलप का सर्वे ये फैसला आने से पहले किया गया था। यह सर्वे एक से २० जून के तक किया गया। बहरहाल, वह वो दौर जरूर था, जब अमेरिका में कई जगहों पर गोलीबारी की घटनाएं हुईं, जिनमें दर्जनों लोग मारे गए। ऐसी घटनाएं किसी भी समाज में मायूसी पैदा करती हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट का एक और ऐसा फैसला आया है, जिससे ये मनोदशा और गंभीर रूप लेगी। कोर्ट ने पिछले हफ्ते पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (ईपीए) के कार्बन उत्सर्जन घटाने संबंधी आदेश जारी करने के अधिकार को काफी सीमित कर दिया। जलवायु परिवर्तन रोकने संबंधी कदम उठाने में बड़ी रुकावट पैदा हो गई है। जाहिर है, इस फैसले से लिबरल खेमे में नाराज़गी और बढ़ेगी।
