मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर खींचतान जारी है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियां अभी किसी निश्चित फॉर्म्युले पर राजी नहीं हुई हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में थी लेकिन विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने खुद को बड़ा भाई कहते हुए ज्यादा सीटें मांगी थीं। बात नहीं बनने पर दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। शिवसेना और बीजेपी के बीच पिछले कुछ हफ्तों से गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों पार्टियों के बीच इस दौरान तल्ख बयानबाजी भी देखने को मिली है। जहां एक ओर शिवसेना ने बीजेपी को दफन करने की बात कहते हुए खुद को महाराष्ट्र में बड़ा भाई बताया, वहीं बीजेपी की तरफ से कहा गया कि गठबंधन करना उसकी कोई मजबूरी नहीं है। लगभग हर चुनाव से पहले शिवसेना के कड़े रुख की वजह एक डर भी है, जो बीजेपी ने गोवा में अपने सहयोगी (अब शिवसेना के साथ) महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के साथ किया। एक शिवसेना नेता ने इस डर का इजहार करते हुए कहा था, ‘गोवा में उभार के लिए उन्होंने एमजीपी का इस्तेमाल किया और महाराष्ट्र में शिवसेना की मदद से अपना आधार बढ़ाया। लेकिन शिवसेना कोई एमजीपी नहीं है।’
1961 में पुर्तगालियों का शासन खत्म होने के बाद एमजीपी गोवा की सत्ता पर राज करनेवाली पहली पार्टी थी। गोवा में हिंदुओं (खास तौर पर गैर ब्राह्मण) के जबरदस्त समर्थन की वजह से एमजीपी ने 1963 से लेकर 1979 तक शासन किया। बीजेपी और एमजीपी ने 1994 का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा। इस गठबंधन में बीजेपी जूनियर पार्टनर थी। एमजीपी ने 25 और बीजेपी ने 12 सीटों पर गठबंधन के तहत उम्मीदवार उतारे। इसी साल गठबंधन टूट गया लेकिन इससे बीजेपी के लिए एमजीपी के वोट बैंक में सेंध लगाने का रास्ता खुल गया। 2012 में दोनों पार्टियां एक बार फिर साथ आईं लेकिन इस बार बीजेपी सीनियर पार्टनर थी। इस चुनाव में बीजेपी ने 28 और एमजीपी ने 7 सीटों पर कैंडिडेट खड़े किए। गोवा में आगे बढ़ने के साथ ही बीजेपी ने एमजीपी के वोट बैंक को साफ कर दिया। पार्टी ने एमजीपी के काडर और नेताओं के एक बड़े हिस्से को तोड़कर अपने पाले में कर लिया। जहां एक ओर शिवसेना महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में बड़े भाई की भूमिका में बरकरार रही, वहीं एक के बाद एक इसका वोट शेयर गिरता गया और बीजेपी का बढ़ता गया। इसके साथ ही जब भी बात लोकसभा चुनाव की आई तो बीजेपी पहले ही बड़े भाई की भूमिका में रही। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 26 और शिवसेना ने 22 सीटों पर चुनाव लड़ा। हालांकि इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया था। ब्रेकअप से पहले दोनों के बीच 151 (शिवसेना) और 127 (बीजेपी) सीटों के बंटवारे पर अंतिम चर्चा हुई थी।महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं।
