नई दिल्ली। पुलवामा हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 40 जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में बदले की आग भड़क रही है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि सुरक्षा बलों को खुली छूट दे दी गई है। पुलवामा के गुनहगारों को सजा कैसे दी जाएगी, कहां दी जाएगी, कब दी जाएगी, कौन देगा, किस प्रकार की सजा देगा, ये सब जवान तय करेंगे। हालांकि इसके साथ-साथ किसी बड़े ऐक्शन से पहले भारत पूरी रणनीति के साथ एक-एक कदम आगे बढ़ा रहा है। आइए समझते हैं कि गुरुवार को हमले के बाद भारत अब तक किस तरह की तैयारी कर चुका है।
पुलवामा हमले के एक दिन बाद भारत ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहिम शुरू कर दी। विदेश सचिव विजय गोखले ने दिल्ली में करीब दो दर्जन राजदूतों से मुलाकात की। भारत ने पाकिस्तान से सबसे तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा भी वापस ले लिया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि एमएफएन का दर्जा वापस लेने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर होगा। पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद द्वारा की गई हरकत पर सरकार पूरी तरह से बदले के मूड में है और आतंकी गतिविधियों में पाकिस्तान की मिलीभगत की पोल खोलकर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया जा रहा है। सरकार अपनी रणनीति के तहत देश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर सबको अपने विश्वास में लेना चाहती है ताकि इस घटना का सैन्य स्तर पर मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इस कायराना हमले के बाद के कदमों से यह संकेत मिलता है कि सरकार की रणनीति होगी कि आम-सहमति से बदले की कार्रवाई हो। यही वजह है कि सरकार ने विभिन्न स्तरों पर बातचीत शुरू कर दी है और ऐक्शन के लिए सभी विकल्पों को तलाशा जा रहा है। अमेरिका, चीन, रूस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ से लेकर अफगानिस्तान, इजरायल, सऊदी अरब और इंडोनेशिया समेत दुनियाभर के देश भारत के समर्थन में आ गए हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एकजुटता जाहिर की है।
सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक के बाद शुक्रवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विदेश मंत्रालय सारे कूटनीतिक कदम भी उठाएगा जिससे पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर दरकिनार किया जा सके। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र व्यापक संधि (सीसीआईटी) जल्द स्वीकार करने के लिए भारत वैश्विक समुदाय पर दबाव बनाएगा। सरकार की मंशा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने से पहले भारत को सभी देशों का समर्थन मिले और उनको विश्वास में लिया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पुलवामा हमले के दोषी आतंकी गुट छिपे नहीं रह सकते हैं और उनको सजा मिलेगी क्योंकि सुरक्षा बलों को जरूरी कार्रवाई करने की खुली छूट दी गई है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल को जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के भारत के प्रयास को समर्थन दे दिया है। वॉशिंगटन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के तहत सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का भी समर्थन किया है। खास बात यह है कि भारत की बदले की कार्रवाई में अमेरिका खुफिया जानकारी भी साझा करेगा। अमेरिकी सरकार ने भारत के आत्म-रक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए हरसंभव मदद का वादा किया है।
घरेलू स्तर पर भी सरकार कोई बड़ा कदम उठाने से पहले सभी को विश्वास में लेने की कोशिश कर रही है। सरकार ने शनिवार को इस मसले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई ताकि सरकार जो कुछ भी कदम उठाए उसे संपूर्ण राष्ट्र का समर्थन मिल सके। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद की मदद की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें कहा गया कि सभी दलों के साथ-साथ देशवासी शहीद जवानों के परिवार के साथ खड़े हैं। सरकार की कोशिशों का असर भी दिखने लगा है कि पाकिस्तान को इस्लामाबाद में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों (पी-5) के राजदूतों से मिलने को मजबूर किया। सूत्रों के अनुसार, विदेश सचिव ने पी-5, दक्षिण एशिया के सभी देश और जापान, जर्मनी, कोरिया जैसे साझेदार समेत 25 राजदूतों से मुलाकात की। पी-5 में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं। उपरोक्त फैसलों और कदमों से साफ है कि सरकार पूरी रणनीति के तहत एक-एक कदम आगे बढ़ा रही है जिससे आने वाले दिनों में जो भी ऐक्शन लिया जाए उसमें सहयोगी देशों ही नहीं देश की सभी पार्टियां और पक्ष एकजुट दिखें।
