मुंबई। कैश की कमी को लेकर छाई चिंताओं पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को कहा कि सिस्टम में कैेश जरूरत से ज्यादा है। बाजार की जरूरतों के हिसाब से उपलब्ध विकल्पों का उपयोग कर सस्टेनेबल लिक्विडिटी की व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाएगा। पिछले कुछ दिनों में सक्रियता से उठाए गए कदमों के बारे में आरबीआई ने कहा कि 19 सितंबर को उसने ओपन मार्केट ऑपरेशन में गवर्नमेंट सिक्यॉरिटीज का लेन-देन (ओएमओ) किया था। साथ ही लिक्विडिटी अजस्टमेंट फसिलिटी (एलएएफ) के सामान्य प्रावधान के अतिरिक्त रिपो के माध्यम से अतिरिक्त तौर पर लिबरल लिक्विडिटी इंफ्यूजन से जान फूंकने की कोशिश की थी।
आरबीआई ने कहा कि औपन मार्केट में गवर्नमेंट सिक्यॉरिटीज की खरीद-फरोख्त दोबारा से गुरुवार को की जा सकती है ताकि व्यवस्था में पर्याप्त लिक्विडिटी को सुनिश्चित किया जा सके। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि 26 सितंबर को रिपो के माध्यम से बैंकों ने रिजर्व बैंक से 1.88 लाख करोड़ रुपये की सुविधा प्राप्त की, इसके परिणामस्वरूप सिस्टम में पर्याप्त से अधिक लिक्विडिटी मौजूद है। रिजर्व बैंक ने घोषणा की स्टैटुटरी लिक्विडिटी रेशियो (एसएलआर) में जरूरी राहत 1 अक्टूबर 2018 से प्रभावी होगी। इससे प्रत्येक बैंक की लिक्विडिटी कपैसिटी को मदद मिलनी चाहिए। आरबीआई ने कहा कि व्यवस्था में लिक्विडिटी की जरूरतों को पूरा करने के वह तैयार है और विभिन्न उपलब्ध विकल्पों के माध्यम से वह इसे सुनिश्चित करेगा। यह उसके बाजार हालातों और लिक्विडिटी का लगातार आकलन करने पर निर्भर करेगा। उल्लेखनीय है कि आईएलऐंडएफएस समूह कंपनी की चूक के बाद लिक्विडिटी के संकट संबंधी चिंताएं जाहिर की जाने लगी थीं।