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चीफ जस्टिस के बाद जस्टिस सीकरी ने भी खुद को सुनवाई से अलग किया

नई दिल्ली। सीबीआई में उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख से हटाने के बाद एम नागेश्वर की नियुक्ति अंतरिम निदेशक के तौर पर हुई थी। अब उनकी नियुक्ति को एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। अब न्यायाधीश ए के सिकरी ने चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया। न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई अंतरिम निदेशक मामले की सुनवाई शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध की। दूसरी पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी खुद को उस याचिका पर सुनवाई करने से अलग कर लिया था जिसमें सीबीआई के अतंरिम निदेशक के तौर पर एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को अदालत में चुनौती दी गई थी। याचिका में सीबीआई निदेशक के चुनाव को शॉर्टलिस्ट करने, चुनाव करने और नियुक्ति करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की गई है।
जस्टिस गोगोई ने सुनवाई से खुद को अलग करने का तर्क देते हुए कहा था कि वह अगले सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली चयन समिति की बैठक का हिस्सा होंगे। अब इस याचिका पर 24 जनवरी को दूसरी बेंच सुनवाई करेगी।गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने राव की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। 16 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई थी। जिसमें उनकी तरफ से वकील प्रशांत भूषण पेश हुए थे और उन्होंने मामले पर 18 जनवरी को सुनवाई करने के लिए कहा था जिसपर अदालत ने कहा था कि अगले हफ्ते ही इसपर सुनवाई होगी।सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राव को 10 जनवरी को अंतरिम प्रमुख का प्रभार सौंपा गया था। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने आलोक कुमार वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य की उपेक्षा के आरोपों के कारण जांच एजेंसी के प्रमुख पद से हटा दिया था।

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