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केवल 4 महीने में बना आतंक का नेटवर्क

नई दिल्ली। इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकवाद मॉड्यूल हरकत उल हर्ब ए इस्लाम के बारे में एक चौंकाऊ खुलासा हुआ है। आतंक का यह नेटवर्क 3 से 4 महीने में ही तैयार हो गया था। इतने कम समय में लोकल स्तर पर आतंकवाद का नेटवर्क बनने से सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ गई है। अब तक सबसे बड़ी राहत की बात यही हुआ करती थी कि अंदरूनी नेटवर्क के इसमें सीधे शामिल होने या इनके प्रभावित होकर आतंक का नेटवर्क खड़ा करने की मिसाल नहीं थी। अब दिल्ली और उत्तर प्रदेश में छापेमारी के बाद जिस तरह के तथ्य सामने आए हैं, उससे एजेंसियों के होश उड़ गए हैं और पूरे देश में ज्यादा सतर्कता बरतने को कहा गया है। अब तक इस्लामिक आतंकवाद के जुड़ने के मामले कश्मीर के अलावा केरल से ही अधिक आए थे। सूत्रों के अनुसार देश के अंदर अपना नेटवर्क फैलाने में अब तक विफल आईएस अब दूसरे तरीकों से देश में कट्टरवाद को बढ़ावा देने की फिराक में है। इसके लिए जेलों में बंद मुस्लिम युवाओं तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। खासकर जम्मू-कश्मीर के जेलों में बंद मुस्लिम युवाओं को गुमराह कर अपने साथ जोड़ने की खतरनाक कोशिश की जा रही है। इस पूरी साजिश में यही मॉडल अपनाने के संकेत मिले हैं।
इन आतंकियों के तार कश्मीर के आतंकी से मिले हैं, जो पिछले दिनों जेल में बंद था। इसके लिए जेलों में सिम और मोबाइल भेज कर उसके माध्यम से इन युवाओं से कनेक्ट करने की कोशिश करने की साजिश है। साथ ही सोशल मीडिया का भी इसके लिए इस्तेमाल किया गया है। आईएस की मंशा है कि जेलों में बंद मुस्लिम युवाओं तक पहुंच कर उन्हें वह कट्टर बनाकर अपने संगठन में शामिल करने की कोशिश करे। दरअसल आतंकी संगठन अब तक देश में अपना नेटवर्क बनाने में विफल रहा है। इसके पीछे मुस्लिम समाज का ही इस संगठन को खारिज कर देना एक बड़ा कारण रहा है। इसके बाद इस आतंकी संगठन ने दूसरा रास्ता अपनाने की कोशिश की है। इस साजिश का पहला खुलासा तब हुआ जब कुछ महीने पहले घाटी में कुछ युवाओं ने पुलिस को पूछताछ में इस बारे में बताया था। बुधवार को जिस तरह युवाओं को महज तीन-चार महीने में खतरनाक मिशन पर लगा दिया, उससे सुरक्षा एजेंसियों को इनसे निबटने के लिए नयी योजना को अमल में लाना पड़ सकता है।

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