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आम चुनाव से पहले अपने सियासी होमवर्क की झलक दिखाई पीएम मोदी ने

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल के पहले ही दिन विस्तार से इंटरव्यू देकर सियासत को गरमा दिया है। एक प्राइवेट न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने 2019 के आम चुनाव में वह किन मुद्दों को किस तरह आगे कर चुनाव लड़ेंगे, उसका रोडमैप दे दिया। अगले कुछ दिनों में मोदी आम चुनाव से पहले आक्रामक चुनाव प्रचार की शुरुआत करने वाले हैं। इस इंटरव्यू को उसी रोशनी में देखा जा रहा है। आरएसएस और बीजेपी नेताओं के बढ़ते दबाव और कोर समर्थकों की उठती मांगों के बावजूद पीएम मोदी का यह संकेत देना कि वह राम मंदिर पर फैसले के लिए कानूनी प्रक्रिया का इंतजार करेंगे, उनका रणनीतिक कदम भी हो सकता है। 2014 में पीएम मोदी ने हिंदुत्व के उभार के बीच युवा और अपेक्षाओं वाली पीढ़ी और मिडल क्लास के पूरे तबके का वोट लेकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।
अब राम मंदिर पर नए सिरे से उठे आंदोलन के बीच बीजेपी की चिंता है कि यह तबका जरूरी मुद्दों के बीच राम मंदिर मुद्दे पर शायद ही वोट करे। ऐसे में उन्हें जोड़कर रखने के लिए पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर नरम स्टैंड रखा। कहीं न कहीं पीएम मोदी को लगता है कि राम मंदिर से जुड़े कोर वोटर से अधिक नए और युवा वोटरों को साथ जोड़े रखना बड़ी चुनौती है। हालांकि मोदी के बयान के बाद अब संघ और कट्टर हिंदू राजनीति करने वाले लोग क्या रुख अपनाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। हालांकि उरी हमला और सर्जिकल स्ट्राइक पर विस्तार से बात कर उन्होंने यह भी जता दिया कि वह राष्ट्रवाद के मुद्दे को उभारने में पूरा जोर लगाएंगे।
प्रधानमंत्री ने इंटरव्यू से साफ संकेत दिया कि वह आम चुनाव में पिछले 70 सालों की नाकामी और अपने पांच साल के कामकाज में आए बदलाव की तुलना कर जनता के बीच जा सकते हैं। इसके बीच गांधी परिवार को नाकामी का प्रतीक बताकर उन पर हमलावर रहेंगे। मालूम हो कि हाल के दिनों में तमाम सर्वे में राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ती दिखाई गई है। ऐसे में पीएम और बीजेपी को लगता है कि अगर ब्रैंड राहुल को उभरने से रोक लिया गया तो उन्हें बड़ी राहत मिल जाएगी। ऐसी चर्चाएं थीं कि मोदी सरकार तीन राज्यों में हार के बाद कर्जमाफी या तेलंगाना मॉडल पर कोई आर्थिक सौगात किसानों को दे सकती है मगर मोदी ने अपने ताजा इंटरव्यू में इस बात के ठोस संकेत नहीं दिए। उन्होंने कर्जमाफी को किसानों की समस्या को दूर करने का प्रभावी कदम मानने से इनकार किया।
पीएम ने इंटरव्यू के जरिए एक तरह से लोकसभा चुनाव के लिए अपने चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया। सूत्रों के अनुसार 2014 की तरह इस बार भी मोदी अपने इर्द-गिर्द ही चुनाव प्रचार को केंद्रित करेंगे। वह इस चुनाव को एक बार फिर प्रेजिडेंशल अंदाज में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें उनकी थीम मोदी बनाम सभी रहेगी। दरअसल, इस बार विपक्षी दलों के एक मंच पर आने के बाद बीजेपी और मोदी की चुनौती बढ़ गई है, जिस कारण वह चुनाव को अपने इर्द-गिर्द रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसके तहत पीएम पहले चरण में पूरे देश में 100 रैलियां करने वाले हैं। इसकी शुरुआत 4 जनवरी को ओडिशा की रैली से होगी। सूत्रों के अनुसार जनवरी में पीएम की डेढ़ दर्जन से अधिक रैली और एक संवाद का कार्यक्रम होना है। पीएम 24 को प्रयागराज भी जाएंगे, जहां कुंभ में कई देशों के प्रतिनिधि भी पहुंच रहे हैं।

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