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बांह छुड़ाये जात हो…..

एक बार सूरदास जी कहीं जा रहे थे….चलते चलते मार्ग में एक गढ्ढा आया और सूरदास जी उसमे गिर गए और जैसे ही गढ्ढे में गिरे तो किसको पुकारते ?

अपने कान्हा को पुकारने लगे, भक्त जो ठहरे ! एक भक्त अपने जीवन में मुसीबत के समय में प्रभु को ही पुकारता है !
और पुकारने लगे कि अरे मेरे प्यारे छोटे से कन्हैया…. आज तूने मुझे यहां भेज दिया और अब क्या तू यहां नहीं आएगा… मुझे अकेला ही छोड़ देगा।

और जिस समय सूर जी ने प्रभु को याद किया तो आज प्रभु भी उसकी पुकार सुने बिना नहीं रह पाए !

सच है, जब एक भक्त दिल से पुकारा करता है तो यह टीस प्रभु के दिल में भी उठा करती है और आज कान्हा भी उसी समय एक बाल गोपाल के रूप में वहां प्रकट हो गए ! और प्रभु के पांव की नन्ही नन्ही सी पैंजनिया जब छन छन करती हुई सूर जी के पास आई तो सूर जी को समझते देर न लगी !

कान्हा उसके समीप आये और बोले अरे बाबा, नीचे क्या कर रहे हो, लो मेरा हाथ पकड़ो और जल्दी से उपर चले आओ ! जैसे ही सूरदास जी ने इतनी प्यारी सी मिश्री सी घुली हुई वाणी सुनी तो जान गए कि मेरा कान्हा आ गया और बहुत प्रसन्न हो रहे हैं !
और कहने लगे कि अच्छा बाल गोपाल के रूप में आ गए ! कन्हाई तुम आ ही गए न !

बाल गोपाल कहने लगे,, अरे कौन कान्हा, किसका नाम लेते जा रहे हो, जल्दी से हाथ पकड़ो और उपर आ जाओ, ज्यादा बातें न बनाओ !

सूरदास जी मुस्कुरा पड़े और कहने लगे सच में कान्हा तेरी बांसुरी के भीतर भी वो मधुरता नहीं, मानता हूँ कि तेरी बांसुरी सारे संसार को नचा दिया करती है लेकिन कान्हा तेरे भक्तों की टेर तुझे नचा दिया करती है !

क्यों कान्हा, सच है न, तभी तो तू दौड़ा चला आया !

बाल गोपाल कहने लगे, अरे बहुत हुआ, पता नही क्या, कान्हा कान्हा किये जा रहा है !

मै तो एक साधारण सा बाल ग्वाल हुँ,मदद लेनी है तो लो नहीं तो मैं तो चला, फिर पड़े रहना इसी गढ्ढे में !

जैसे ही इतना कहा, सूरदास जी ने झट से कान्हा का हाथ पकड़ लिया और कहा, कान्हा तेरा ये दिव्य स्पर्श, तेरा ये सनिध्य ये सूर अच्छी तरह जानता है !मेरा दिल कह रहा है की तुम मेरा श्याम ही है !

जैसे ही आज चोरी पकड़े जाने के डर से कान्हा आज भागने लगे तो सूर जी ने कह दिया-

बांह छुडाये जात हो, निबल जान जो मोहे
ह्रदय से जो जाओगे, सबल समझूंगा में तोहे

यंहा से तो भाग जाओगे लेकिन मेरे दिल की कैद से कभी नहीं निकल पाओगे ! तो ऐसे थे सूरदास जी, प्रभु के भक्त !

धन्य है ऐसे भक्त जो प्रभु को नचा दिए करते हैं।

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