जंगल में लगी आग ने लहेना की सुंदरता छीन ली है। यह आग अमेरिका में पिछले सौ सालों में सबसे भयावह थी। इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले जिन जगहों पर हम जाना चाहते हैं, जिन्हें देखना और अनुभव करना चाहते हैं, ऐसी जगहों की हम सब की सूची में हवाई का नाम ज़रूर होता है। पर यह सूची छोटी होती जा रही है। और इसका मुख्य कारण है मौसम। हर बीतते दिन के साथ मौसम खऱाब, और खऱाब होता जा रहा है, अधिकाधिक विनाशकारी होता जा रहा है। ऐसे बहुत से स्थान जहां हम-आप जाना चाहते हैं, क्लाइमेट चेंज का दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। इस साल इटली में गर्मी का प्रकोप दिल्ली से भी ज्यादा था। ग्रीस में भी असहनीय गर्मी है। वहीं ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमरीका और चीन के कई भागों में अनवरत बारिश ने तबाही मचा रखी है। खबरों को देखकर और लेख पढ़कर कर यह सोचना पड़ रहा है कि कौनसी जगह जाने लायक बची है। बहुत सी जगहें जंग के कारण इस सूची से बाहर हो गई हैं और अब बहुत सी जलवायु संबंधी उथलपुथल के कारण हो रही हैं।
सूखे, ज्वलनशील पदार्थों की अधिक मौजूदगी, तेज हवाओं और लापरवाही – इन सबको हवाई त्रासदी का कारण माना जा रहा है। लेकिन क्या हम इससे कुछ सबक लेंगे? विनाशकारी आगें अब आम होती जा रही हैं – अमेजन वनों से लेकर सरिस्का तक, लगभग हर महाद्वीप में तापमान बढ रहा है, और सूखे के हालात लगभग हमेशा रहते हैं। भविष्य लपटों भरा है! हमारे शहरों में तो खतरा और ज्यादा है। सभ्यताएं और इतिहास उजड़ रहे हैं, भविष्य में क्लाइमेट चेंज का असर कई गुना बढऩे वाला है, लेकिन हमें क्या इसकी जरा सी भी फिक्र है?
