नईदिल्ली। भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर फरवरी में घटकर ०.२ फीसदी रह गई, जो इसके पहले के महीने में ०.२७ फीसदी थी। हालांकि यह लगातार चौथे महीने धनात्मक क्षेत्र में बनी हुई है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी महीने में ईंधन और विनिर्मित उत्पादों के मूल्य में आई कमी की वजह से डब्ल्यूपीआई महंगाई कम रही है, हालांकि खाद्य महंगाई बढ़कर ६.९५ फीसदी पर है। खाद्य वस्तुओं में महंगाई की वजह से फैक्टरी मूल्य पर दबाव बढ़ा है, क्योंकि मोटे अनाज (६.६३ फीसदी), सब्जियों (१९.७८ फीसदी) और दूध (५.४६ फीसदी) की कीमत काफी बढ़ी है। मोटे अनाज में गेहूं (२.३४ फीसदी) और दलहन (१८.४८ फीसदी) की महंगाई चिंता का विषय रहे। सब्जियों में प्याज (२९.२२ फीसदी) सबसे महंगी पड़ी, जबकि आलू (१५.३४ फीसदी) की भी कीमत तेजी से बढ़ी है।
हालांकि फलों (-३.९९ फीसदी) और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों जैसे अंडे व मांस (-०.४७ फीसदी) की कीमतों ने कुछ राहत दी है।
सूचकांक में विनिर्मित उत्पादों का अधिभार ६४.२ फीसदी होता है, जिनकी कीमत में लगातार १२वें महीने फरवरी में भी कमी (-१.२७ फीसदी) आई है। विनिर्मित खाद्य उत्पादों (-१.११ फीसदी), सब्जियों व घी (-१३.३२ फीसदी), टेक्सटाइल (-१.९ फीसदी), कागज (-६.४२ फीसदी), रसायन (-५.१८ फीसदी), धातुओं (-५.७२ फीसदी) रबर (-१.०९ फीसदी) और स्टील (-६.४९ फीसदी) ने महंगाई घटाने में अहम भूमिका निभाई है।
ईंधन की कीमत में संकुचन (-१.५९ फीसदी) लगातार १०वें महीने जारी रहा। इसमें हाई स्पीड डीजल (-६.३७ फीसदी) और पेट्रोल (-०.६९ फीसदी) ने अहम भूमिका निभाई है। हालांकि इस महीने के दौरान रसोई गैस (३.८३ फीसदी) की कीमत बढ़ी है।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि थोक खाद्य महंगाई की वजह से कुल मिलाकर आंकड़े बढ़े हैं और जिसों और ऊर्जा के वैश्विक दाम की वजह से डब्ल्यूपीआई महंगाई दर के आंकड़े नरम हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘आगामी वित्त वर्ष में अलनीनो की स्थिति कमजोर बढऩे और रबी की बोआई के साथ कृषि उत्पादन में सुधार से खाद्य महंगाई में कमी आएगी। चीन में सुस्त वृद्धि के कारण जिंसों के वैश्विक दाम स्थिर रहने की संभावना है। पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव अहम बना हुआ है और इस पर नजदीकी से नजर रखने की जरूरत है।’
फैक्टरी कीमतों पर महंगाई दर में यह मामूली गिरावट ऐसे समय आई है, जब फरवरी में खुदरा महंगाई ५.०९ फीसदी पर बनी हुई है।
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति में खुदरा महंगाई दर पर नजर रखता है, लेकिन बढ़ी डब्ल्यूपीआई का असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर भी पड़ता है।
इंडिया रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा, ‘कुल मिलाकर वित्त वर्ष २०२४ में थोक मूल्य सूचकांक की अवस्फीति ०.७ फीसदी रहेगी। अप्रैल २०२४ और उसके बाद आधार का असर कम होने के कारण डब्ल्यूपीआई महंगाई करीब ०.५ फीसदी बढऩे की संभावना है।’
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