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तारिक फतेह की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन, वक्ताओं ने की भारत का सर्वोच्च सम्मान देने की मांग

टोरंटो,०८ मई।
हिंदू फ़ोरम कैनेडा के नेतृत्व में बेहद जल्दी में आयोजित किए गए तारेक फ़तह श्रद्धांजली समारोह में सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए थे। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से सम्मिलित हुई थीं तारेक फ़तह की बेटी ‘सु श्री नताशा फ़तह।
शाम ६ बजे से शुरू हुआ यह कार्यक्रम ८ बजे तक चला। सभी वक्ताओं ने तारेक फ़तह की साफ़ गोई, सत्य बोलने और सत्य की रह पर एकला चलने के बारे में अपने विचार रखे. साथ ही, सभी वक्ताओं ने तारेक फ़तह की लिगेसी – परम्परा को क़ायम रखने और आगे बढ़ाने की बात कही. उनकी बेटी नताशा उर्फ़ लक्ष्मी ने पाकिस्तान में पैदा हुए और कैनेडा के नागरिक हिंदुस्तान के इस लाड़ले बेटे और अपने पिता की राह पर चलने की बात कही.
श्रद्धांजली समारोह में विशेष वक्त के रूप में स्वामी नैना नंद ने तारेक फ़तह को भारत का महान सपूत बताया। कार्यक्रम का संचालन किया टैग टीवी के मुखिया श्री ताहिर असलम गोरा ने। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे श्री हिंदू फ़ोरम के श्री राव जी। इस कार्यक्रम का आयोजन कोर्ट यार्ड बाय मैरीयट ब्रैंपटन में किया गया था। कार्यक्रम में वक्ताओं ने तारिक फ़तह को भारत का सर्वोच्च सम्मान देने की भी मांग की।

तारिक फ़तह का जन्म २० नवंबर, १९४९ को कराची में हुआ था। उनका परिवार बंटवारे के दौरान बॉम्बे से कराची चला गया था। साठ से सत्तर के दशक में उन्होंने एक प्रभावशाली युवा छात्र नेता के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। इसके बाद वह अपनी बेबाक पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने लगे। हालांकि पाकिस्तान की हुकूमत और आर्मी की दमनकारी नीति के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके बाद तारिक पाकिस्तान छोड़कर कैनेडा में बस गए।
तारिक फ़तह स्वयं को ‘पाकिस्तान में जन्मा भारतीय’ बताते थे और वे बेहद गर्व से कहते थे, कि उनके पूर्वज हिंदू थे। तारिक फतह पंजाबी मुस्लिम परिवार से आते थे। १९९६ से २००६ तक उन्हें ‘मुस्लिम क्रॉनिकल’ नामक शो होस्ट करने के लिए भी जाना जाता है। वो इस्लाम और मुस्लिम समाज में सुधारों के गंभीर पक्षधर थे। उनकी पुस्तकों ‘ द ज्यू इज नॉट माय एनीमी’ और ‘ चेज़िंग द मिराज’ को पाठकों ने बेहद पसंद किया था।
तारिक का अर्थ होता है ,त्याग करनेवाला, छोड़ने वाला, अहंकारी, घमंडी, त्यागी,नदी आर-पार करने का महसूल , नाव से नदी पार करने का भाड़ा,रात को आने वाला,रात को यात्रा करने वाला, रात्री भ्रमणकारी,हर वह चीज़ जो रात में निकले (इसीलिए चोर और राहगीर को भी कहते हैं)। प्रातःकाल में उदय होने वाला एक तारा, फ़ाल निकालने वाला, शकुन निकालने वाला,दुर्घटना, सख़्त हादिसा और इस्लाम का एक प्रसिद्ध सेनापति। तारिक फतह इन सब में से कुछ न कुछ थे।

तारिक फ़तह के साथ बिताए हुए पलों को स्मरण करते हुए हिंदी टाइम्स मीडिया के प्रधान संपादक राकेश तिवारी ने कहा,’ तारिक पंजाबी थे,सिंध के करांची में पैदा हुए थे , कैनेडा के नागरिक थे लेकिन अपने आपको हिन्दुस्तानी कहने में फख्र महसूस करते थे। बहुत से लोगों की नजर में वे बुद्धिजीवी थे और बहुत से लोगों की नजर में लफ्फाज भी थे। लेकिन मेरी नजर में वे एक मस्त आदमी थे जो इस्लामी अतिवाद के ख़िलाफ़ बोलने और एक उदारवादी इस्लाम के पक्ष को बढ़ावा देने के लिये प्रसिद्ध थे। तारिक़ फ़तह दक्षिण एशिया और विशेष रूप से कट्टरपंथी भारतीय और पाकिस्तानी मुसलमानों की अलगाववादी संस्कृति के विरुद्ध भी बोलते थे, तथा वे समलैंगिक व्यक्तियों के समान अधिकारों और हितों के भी पक्षधर थे। साथ ही वे बलूचिस्तान में मानवाधिकार के हनन और पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान में किये जा रहे ज़्यादतियों के विषय पर भी बोलते और लिखते थे और ‘आज़ाद बलूचिस्तान’ के पक्षधर के रूप में भी जाने जाते थे।

उन्होंने कैनेडा में एक राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार और टेलीविजन होस्ट के रूप में काम किया और कई किताबें लिखी थी। कई तरह के पुरस्कार से नवाजे जा चुके तारिक कैनेडा समेत दुनिया की कई प्रमुख पत्रिकाओं और अखबारों के लिये लेख लिखते रहे।
तारिक फतह को उनके विचार के कारण कई बार जान की धमकी भी मिलती रही है। 2017 में उन्होंने टोरंटो सन में लिखे अपने एक लेख में कहा था कि एक कार्यक्रम में उन पर हमला हुआ और उनके साथ मारपीट की गई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि बिना सिक्योरिटी के मुझे कही भी जाने पर खतरा है। उन्होंने कहा कि मेरा सिर कलम करने की धमकी दी गई है।
उनके निधन पर कैनेडा में रहने वाले पत्रकार और टैग टीवी के प्रमुख ताहिर गोरा ने तारिक फतह के साथ आखिरी शो का लिंक शेयर करते हुए लिखा था, ’भारी मन से मैं इस दुखद खबर को साझा कर रहा हूं कि हमारे मित्र, लेखक और एक्टिविस्ट तारेक फतह का आज सुबह देहांत हो गया। इसके साथ ही द जयपुर डॉयलॉग ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके साथ अपने आखिरी शो को शेयर किया।
आप की अदालत कार्यक्रम में उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए अयोध्या के राम मंदिर का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि भारत ही दुनिया को रास्ता दिखाता रहा है। अगर भारत है तो दुनिया है। भारत खत्म तो दुनिया ख़त्म।

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