टोरंटो,१२ जून। कैनेडा में फर्जी प्रवेश पत्रों का उपयोग कर वीजा प्राप्त करने के आरोप में निर्वासन की संभावना का सामना कर रहे सैकड़ों भारतीय छात्रों को कैनेडा के अधिकारियों से ‘स्टे ऑर्डर’ मिला है। इससे फिलहाल उन्हें राहत मिल गई है।
गौरतलब है कि इस मामले में भारत बार-बार कैनेडा के अधिकारियों से निष्पक्ष रहने और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करता रहा है क्योंकि छात्र कथित रूप से कुछ एजेंटों के फर्जीवाड़े का शिकार हुए थे।
पिछले कुछ दिनों में, राजनीतिक दलों के कैनेडियन सांसदों ने छात्रों के समर्थन में बात की है। इसमें प्रमुख विपक्षी दल कंजरवेटिव पार्टी के नेता पियरे पॉलीव्रे , प्रमुख सहयोगी दल एनडीपी के नेता जगमीत सिंह सहित अनेक नेता व सांसद शामिल हैं। बड़े पैमाने पर विपक्षी तथा सहयोगी दलों के साथ स्थानीय भारतीय मूल के लोगों द्वारा बढ़ते दबाव के कारण सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और छात्रों के निर्वाचन पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी गई।
इमिग्रेशन मिनिस्टर सीन फ्रेजियर ने संकेत दिया है कि कैनेडा मेंअनिश्चितता का सामना कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सक्रिय रूप से एक समाधान खोज रहा है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी छात्रों की समस्या के उचित समाधान की आवश्यकता को स्वीकार किया है।
आपको बता दें कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के ऑफर लेटर को फर्जी होने के बावजूद देश में प्रवेश करने तथा लंबे समय तक रहने के लिए लिबरल सरकार और संबंधित एजेंसियों को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आलोचकों का कहना है कि लिबरल सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बच रही है तथा मामलों को संभालने में नाकाम साबित हो रही है। जिससे जनता में लिबरल सरकार के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है जो आने वाले चुनावों में निश्चित ही पार्टी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
लोगों का कहना है कि कैनेडियन सिस्टम की खामियों का परिणाम बेवजह इन मासूम छात्रों को भुगतना पड़ रहा है जो निश्चित ही लिबरल सरकार के लिए शर्मनाक है। सिस्टम में कमी के कारण ही फर्जी ऑफर लेटर होने के बावजूद इन छात्रों को वीजा दिया गया और उन्हें कैनेडा में प्रवेश करने की अनुमति भी मिल गई। इसके लिए दोषी अधिकारियों तथा सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए ना कि मासूम छात्रों को।
