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द रेलवे मैन ने रचा इतिहास, बनी नेटफ्लिक्स की अब तक की सबसे सफल भारतीय सीरीज़

मुंबई। यशराज फिल्म्स (वाईआरएफ) की पहली वेब सीरीज द रेलवे मैन ने दुनियाभर में अपना डंका बजाया और यह दर्शकों का दिल जीतने में सफल रही। भयावह भोपाल गैस त्रासदी को पर्दे पर दर्शाती यह सीरीज़ रिलीज़ के बाद से ही वाहवाही बटोर रही है और सितारों के प्रदर्शन को भी सराहा जा रहा है।अब इस सीरीज़ ने इतिहास रच दिया है और यह नेटफ्लिक्स की अब तक की सबसे सफल भारतीय सीरीज़ बनकर उभरी है।
सच्ची कहानी को पेश करती द रेलवे मैन ने १८ नवंबर को नेटफ्लिक्स पर दस्तक दी थी। इसे दुनियाभर में काफी पसंद किया गया है तो यह अब ३ महीनों बाद भी दर्शकों के दिलों पर राज कर रही है। दरअसल, सीरीज़ ने ३ महीनों से वैश्विक सूची में अपनी जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। यह वैश्विक स्तर पर तीसरा स्थान हासिल करने के साथ ही भारत की नेटफ्लिक्स पर आई सबसे सफल सीरीज़ बन गई है।
नेटफ्लिक्स इंडिया की उपाध्यक्ष (कंटेंट) मोनिका शेरगिल ने खुशी जताते हुए कहा, यशराज फिल्म्स वर्षों से दर्शकों का मनोरंजन कर रहा है। इस कहानी के लिए नेटफ्लिक्स और वाईआरएफ साथ आए थे। रेलवे मेन ने देश में लगातार १०० दिनों तक हमारी शीर्ष १० सीरीज़ की सूची में अपनी जगह बनाई रखी है, जो किसी भी भारतीय सीरीज़ से ज्यादा है। मोनिका का कहना है कि नेटफ्लिक्स और वाईआरएफ साथ में अच्छी फिल्में और सीरीज़ बनाने के लिए उत्सुक हैं।
यशराज फिल्म्स के सीईओ अक्षय विधानी ने कहा कि वाईआरएफ और नेटफ्लिक्स इस उपलब्धि के बाद से काफी रोमांचित हैं। वह कहते हैं, यह हमारे रचनात्मक सहयोग के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह उपलब्धि हमें कठिन लक्ष्य निर्धारित करने और साथ में मिलकर इतिहास रचने के लिए प्रेरित करती है।उनका कहना है कि सीरीज़ को देखकर दर्शकों की जो उनकी भावनात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, वो ही उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।
द रेलवे मैन यशराज की पहली सीरीज़ है तो इसी के साथ शिव रवैल ने निर्देशन क्षेत्र में कदम रखा है।इस सीरीज में दिखाया गया है कि भोपाल की यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से कैसे जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसके बाद भारतीय रेलवे के कर्मचारी लोगों की जान बचाने के लिए आगे आए थे। सीरीज़ में केके मेनन, आर माधवन, जूही चावला, बाबिल खान और दिव्येंदु शर्मा मुख्य भूमिका में दिखाई दिए थे।
मध्य प्रदेश के भोपाल में ०२ दिसंबर, १९८४ की देर रात को लापरवाही के चलते यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने से जहरीली गैस निकली और हवा में घुल गई थी। इस जहरीली गैस के चलते ही १५ हजार से अधिक लोगों ने जान गंवाई थीं।

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