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चीन के रीयल एस्टेट सेक्टर का बुलबुला फूटा, गहराया आर्थिक संकट

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की स्थिति आजकल ठीक नहीं चल रही। जीडीपी में ३० फीसदी तक हिस्सेदारी रखने वाला रीयल एस्टेट संकट से जूझ रहा है। जानकार पूर्व में चेतावनी दे चुके थे कि चीन का प्रॉपर्टी मार्केट एक बुलबुले की तरह है, जो जल्द ही फूटेगा। जानी-मानी रीयल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड की खस्ता हालत से यह सच साबित हो गया है। कंपनी ३४० बिलियन डॉलर के कर्ज़ में फंसी हुई है। और उसे २०२२ में ८१ बिलियन डॉलर का घाटा हुआ। चीन के अलावा अमेरिका आदि देशों में भी इस कंपनी ने लोन लिया है।
चीन सरकार उसे बचाने के लिए पिछले दो-तीन वर्षों से पुरजोर कोशिश कर रही है। लेकिन कंपनी की स्थिति सुधर नहीं रही। अब रही सही कसर अमेरिका में दिवालिया घोषित करने के लिए दायर अर्जी से पूरी हो गयी है। ऐसे में चीन के बाज़ार में मंदी का असर पूरे विश्व पर पड़ने के आसार हैं।
यह चुनौती चीन के रीयल एस्टेट सेक्टर के इतिहास में सबसे बड़ी है, जिसकी तुलना अमेरिका के लेहमन ब्रदर्स से की जा रही है।
गौरतलब है कि पिछले तीन-चार दशकों से चीन ने हर क्षेत्र में जबरदस्त विकास किया। रीयल एस्टेट सेक्टर का इसमें बड़ा योगदान रहा। इस दौरान यह खूब फला-फूला और गगनचुंबी इमारतें खड़ी की गयी। चीन में ज़मीन पर सरकार का मालिकाना हक होता है, सरकार ही उसे बिल्डर्स को बेचकर विभिन्न प्रोजेक्ट्स चलवाती है। दशकों तक बिल्डर्स को ज़मीनें बेंचीं गयीं और उन्होंने बिल्डिंग्स तैयार करायी। इसके लिए उन्हें बैंकों से करोड़ों-अरबों के लोन मिले। इसके पश्चात चीनी लोगों ने महंगे-महंगे दामों में अपार्टमेंट खरीदे। क्योंकि अस्सी के दशक तक चीन में यहां नागरिकों के पास व्यक्तिगत प्रॉपर्टी नहीं होती थी। इसके कारण अचानक घर खरीदने की मांग में भारी उछाल आया। इसी बीच कई जगहों पर पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर आसमान छूती इमारतें बनायीं गयीं। इतना ही नहीं बड़े डिवेलपर्स ने छोटे बिल्डर्स को काम दिया और हज़ारों बिल्डिंग बना दी गयी। कई बार तो ऐसे मामले भी सामने आए कि अधिकारियों की मिलीभगत से इमारत बाहर से बना दी गयी, लेकिन अंदर से कुछ भी काम नहीं किया गया। बरसों तक ये सब चलता रहा।
जाहिर है कि डिवेलपर्स ज़मीन के लिए सरकार पर निर्भर थे, और सरकार की ओर से उन्हें आसानी से ऋण मुहैया कराया जाने लगा। १९९० से २००० के दशक में चीन में बॉरो-टू-बिल्ड मॉडल का खूब इस्तेमाल हुआ।
दक्षिण चीन के हाईनान द्वीप में ग्रीन ज़ोन में ऐसी परियोजना चलाए जाने का खुलासा हुआ। और दानचोउ इलाके के पूर्व पार्टी सचिव चांग छी पर इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगा। उन्हें साल २०२० में आजीवन कारावास की सज़ा सुनायी गयी।

हालांकि एवरग्रांड कंपनी ने पिछले दिनों अमेरिका में बैंकरप्सी के लिए फ़ाइल किया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी की हालिया स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। दरअसल कंपनी ने विदेशी कर्ज के भुगतान से बचने के लिए यह कदम उठाया है।

कोरोना महामारी ने बढ़ाया संकट

कोरोना महामारी के चलते पूरी दुनिया में आर्थिक संकट गहराया। जबकि चीन शुरुआत में इससे कुछ हद तक उबरने में कामयाब रहा। हालांकि कोरोना संबंधी ऐसे सख्त नियम चीन में लागू किए गए कि उससे इकॉनमी फिर से डांवाडोल होने लगी।
कोरोना व अन्य कारणों से चीन में लोग नए घर नहीं खरीद रहे हैं। शायद उन्हें बाज़ार पर उतना भरोसा भी नहीं है। जबकि चीनी इकॉनमी भी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रही है।
कहा जा सकता है कि चीन के प्रॉपर्टी मार्केट का भविष्य कोई बहुत अच्छा नहीं दिख रहा है।

इतनी बड़ी कंपनी है एवरग्रांड
एवरग्रांड कंपनी कितनी बड़ी है, यह आप इससे समझ सकते हैं कि कंपनी के २८० से अधिक शहरों में १३०० से ज्यादा रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट चल रहे हैं। साथ ही वह हेल्थ केयर, थीम पार्क और इलेक्ट्रिक वाहन व्यवसाय में भी मौजूद है। एवरग्रांड से कई अन्य कंपनियां भी जुड़ी हुई हैं।

 

बीजिंग से वरिष्ठ पत्रकार अनिल आज़ाद की रिपोर्ट

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