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डीआरडीओ का अग्नि-वी मिसाइल परीक्षण सफल

भारत के लिए बड़ी उपलब्धि!

नई दिल्ली। मिशन दिव्यास्त्र की सफलता के साथ ही डीआरडीओ सहित भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. खुद पीएम मोदी ने इसके लिए एक्स पर पोस्ट कर बधाई दी है. आपको बता दें कि, भारत की मिसाइल तकनीक को आधुनिक बनाने वाली इस टेक्नोलॉजी से मिसाइल एक साथ कई सौ किलोमीटर में फैले ३ टारगेट को निशाना बना सकती है. इसमें लगे सेंसर पैकेज के साथ १.५ टन तक न्यूक्लियर हथियार ले जाने की क्षमता है. चलिए आपको बताते हैं कि, आखिर डीआरडीओ का यह मिशन दिव्यास्त्र भारत के लिए कितना खास है.
दरअसल, इस दिव्यास्त्र मिशन में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री तकनीक के साथ अग्नि-५ मिसाइल को तैयार किया गया है. चलिए एक-एक करके इसकी तमाम अन्य विशेषताओं के बारे में जानते हैं.
करीब ५०,००० किलोग्राम वजनी और दो मीटर के व्यास के साथ १.७५ मीटर ऊंची अग्नि-वी प्रभावशाली विशिष्टताओं का दावा करती है.
यह ठोस ईंधन द्वारा संचालित तीन चरण वाले रॉकेट बूस्टर के ऊपर १,५०० किलोग्राम का एक दुर्जेय हथियार ले जाती है.
यह मिसाइल ध्वनि की गति से २४ गुना तेज गति से ८.१६ किमी प्रति सेकंड या २९,४०१ किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है.
रिंग लेजर जाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और उपग्रह मार्गदर्शन सहित उन्नत नेविगेशन सिस्टम से सुसज्जित, मिसाइल सटीक लक्ष्यीकरण क्षमताओं को सुनिश्चित करती है, जो मोबाइल लॉन्चर से इसके लॉन्च लचीलेपन द्वारा और भी बढ़ जाती है.

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