श्रीमद्भागवत गीता
“नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः। शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः।।” अर्थात् – तुम शास्त्र विधि से नियत किये हुए कर्तव्य-कर्म करो; क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है तथा कर्म न करने से तेरा शरीर-निर्वाह
