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सीरिया की बढ़ती बदहाली

पिछले कुछ सालों में सीरिया में हिंसा में कमी आने के बावजूद देश की सरकार उन इलाकों का पुननिर्माण नहीं करवा सकी है जिन पर उसने फिर से नियंत्रण कायम कर लिया है। लोगों की आर्थिक समस्याएं बहुत बढ़ी हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जून में कहा था कि सीरिया में बारह साल से चल रहे संघर्ष ने देश की ९० प्रतिशत आबादी को गरीबी की रेखा के नीचे धकेल दिया है। खाने-पीने की चीज़ों के दाम बढ़ रहे हैं और बिजली और ईंधन की सप्लाई में भारी कमी की गयी है। इस साल की गर्मियों में सीरियाई पौंड की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट आई। काला बाज़ार में १५,००० सीरियाई पौंड के बदले एक डॉलर मिल रहा था। पिछले साल की तुलना में इसकी कीमत एक-तिहाई रह गई है। सरकार वेतन बढ़ाती जा रही है और ब्रेड व पेट्रोल पर सब्सिडी उसे बहुत महँगी पड़ रही है।
परन्तु असद के खिलाफ गुस्से की लहर बार-बार उठने के कारण केवल आर्थिक नहीं हैं। असद पर इस बदहाली का कोई असर नहीं है। सीरिया का यह तानाशाह यदि आज भी अपने पद पर जमा हुआ है तो उसका कारण है सन २०१५ में व्लादिमीर पुतिन द्वारा सीरिया में किया गया सैनिक हस्तक्षेप। असद, जिन्होंने अपने ही लोगों के खिलाफ रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया, जिन्होंने बेरहमी से लोगों को कत्ल किया और शहरों को बर्बाद किया और जिन्हें किसी अंतर्राष्ट्रीय अदालत के सामने मुलजिम के रूप में खड़ा रहना चाहिए था, वे अरब देशों के साथ दोस्ती गाँठ रहे हैं। परन्तु अंतर्राष्ट्रीय मंच पर वापसी के उनके प्रयासों के साथ-साथ लोग फिर से सड़कों पर उतर आये हैं। वे दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि असद की सीरिया पर पकड़ अब भी कमज़ोर है और देश में गंभीर आर्थिक संकट है। अगर विरोध प्रदर्शन, दक्षिण सीरिया के बाहर फैलते हैं तो सीरिया दुनिया के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन जाएगा।

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