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नालंदा, कोणार्क की सूर्यघड़ी और नटराज

संकलन (नवकांत ठाकुर)
-मेरी आंखे उस वक्त चमक उठी जब मैंने टीवी स्क्रीन पर राष्ट्रपति के रात्रिभोज कार्यक्रम में फोटोसेशन के लिए पीछे बैकग्राउंड में नालंदा महाविहार की तस्वीर को देखा।
– दुनिया की महाशक्ति अमेरिका इस तस्वीर को देखकर चौंक गया । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नजदीक जाकर नालंदा महाविहार की तस्वीर को छूने की कोशिश की।
– पटना से ९० किलोमीटर दूर विश्व प्रसिद्ध भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय नालंदा महाविहार के खण्डहर मौजूद हैं। जब ह्वेनसांग ने यहां दौरा किया था तब यहां १०,००० छात्र पढते थे और इन छात्रों को पढ़ाने के लिए २,००० शिक्षक नियुक्त थे। नालंदा कई सदियों तक एशिया और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय बना रहा।
– यहां अध्ययन के लिए चीन, जावा, सुमात्रा, म्यांमार, तिब्बत, लंका, अरब, तुर्की और ईरान आदि देशों से छात्र आते थे । प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ७वीं शताब्दी में यहां पर विद्यार्थी के रूप में समय बिताया था । गुप्त वंश के महान सम्राट कुमारगुप्त को इस विश्वविद्यालय का संस्थापक माना जाता है।
-जब भारत पर इस्लामिक हमले शुरू हुए तब ११९९ ईस्वी में बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दी थी और वहां के शिक्षकों के सिर काट दिए थे जिसकी वजह से भारत का ज्ञान नष्ट हो गया था। कई इतिहासकार दावा करते हैं कि इस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में इतनी किताबें थीं कि ६ महीने तक लाइब्रेरी जलती रही।
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी २० के मेहमानों को और पूरी दुनिया को नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीर दिखाकर शायद ये संदेश देने की कोशिश की है कि चंद्रयान-३ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड कर चुका है लेकिन ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में भारत का इतिहास सदियों पुराना है ।
– नालंदा विश्वविद्यालय की तरह ही कोणार्क के सूर्य मंदिर में लगी सूर्य घड़ी या सूर्य चक्र को भी देखकर बाइडन चौंक गए थे । भारत में जी २० समिट के पहले दिन मोदी भारत मंडपम में खड़े होकर समिट में हिस्सा लेने आए जी२० देशों के नेताओं की आगवानी कर रहे थे। लेकिन इन सब के बीच दुनिया के नेताओं को और वैश्विक मीडिया को जो चीज रोमांचित कर रही थी वो पीएम मोदी के बैकग्राउंड में बना सूर्य चक्र था।
– दरअसल ये चक्र या पहिया कोणार्क के सूर्य मंदिर का हिस्सा है ये सूर्य मंदिर रथ के आकार का बना हुआ है। ये पहिए बताते हैं कि आखिर कैसे पूरी दुनिया सूर्य की ऊर्जा से चलती है इसे एक सूर्यघड़ी भी कहा जाता है। इस सूर्य चक्र में कुल ८ मोटी तीलियां हैं और ८ पतली तीलियां हैं। हर तीली के बीच में ३० बिंदु हैं। हर बिंदु तीन मिनट का समय बताता है यानी कुल ९० मिनट।
– इसे सूर्य चक्र, सूर्य घड़ी, रथ का पहिया और भी कई नामों से जाना जाता है। लेकिन कई एक्सपर्ट्स ये भी मानते हैं कि इसकी २४ तीलियां गायत्री मंत्र के २४ अक्षरों को भी दिखाती हैं ।
– जी २० के कार्यक्रम के लिए प्रगति मैदान के भारत मंडपम को बेहद खूबसूरत सजाया गया और भारत मंडपम में लगाई गई नटराज की प्रतिमा ने सभी की ध्यान अपनी तरफ खींचा। नटराज की यह प्रतिमा अष्टधातु से बनाई गई है और ये दुनिया में सबसे ऊंची मूर्ति है। नटराज को भगवान शिव का रूप माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव इस रूप में तांडव नृत्य की एक मुद्रा में हैं। यह मूर्ति २७ फीट ऊंची और १८ टन वजनी है।
-नटराज की प्रतिमा चोल साम्राज्य का भी एक बड़ा प्रतीक मानी जाती है। चोल सम्राट भगवान शिव के कट्टर भक्त थे। उन्होंने अपने शासन के दौरान भगवान शिव के कई मंदिरों का निर्माण कराया, लेकिन पहली बार पांचवीं सदी में नटराज के रूप में भगवान शिव की मूर्ति बनवाई थी। वर्तमान में नटराज की जो मूर्ति दिखती हैं, वो चोलों के साम्राज्य में ही बनाई गई थीं।

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