नई दिल्ली ,२२ सितंबर । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा पारित निर्देशों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें कर्नाटक को १३ सितंबर से १५ दिनों के लिए तमिलनाडु को प्रतिदिन ५,००० क्यूसेक पानी छोडऩे का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति आर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) दोनों में जल संसाधन प्रबंधन और कृषि के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं और उन्होंने सभी प्रासंगिक मुद्दों पर विचार किया है।
बेंच ने कहा कि सीडब्ल्यूएमए और सीडब्ल्यूआरसी ने जिन कारकों पर विचार किया, उन्हें ‘अप्रासंगिक’ या ‘विवादास्पद’ नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि अधिकारी १५ दिनों के अंतराल पर नियमित रूप से बैठक करेंगे और संबंधित अवधि के लिए स्थिति का आकलन करेंगे और पानी छोडऩे का निर्देश देंगे।
तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि सीडब्ल्यूएमए ने स्थिति को ध्यान में रखते हुए सीडब्ल्यूआरसी द्वारा अनुशंसित ७,२०० क्यूसेक प्रति दिन की मात्रा के मुकाबले यंत्रवत् मात्रा को घटाकर ५,००० क्यूसेक प्रति दिन कर दिया।दूसरी ओर, कर्नाटक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने तर्क दिया कि सीडब्ल्यूएमए को कर्नाटक के बांधों से प्रति दिन ३,००० क्यूसेक से अधिक पानी छोडऩे का आदेश नहीं देना चाहिए था।
दीवान ने कहा कि उत्तर पूर्वी मॉनसून का फायदा कर्नाटक को बिल्कुल नहीं मिल पाता है और राज्य को पीने के पानी की भी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
