41 Views

सौ दिनों में नेतन्याहू और फेल!

– श्रुति व्यास

इजराइल-हमास युद्ध को शुरु हुए सौ दिन पूरे हो गए हैं।इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ‘पूर्ण विजय’ तक लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया है। वे इन तथ्यों के बावजूद यह रवैया त्यागने को तैयार नहीं हैं कि युद्ध का नतीजा अनिश्चित है और गाजा में मौतें बढ़ रही हैं। साथ ही यह डर भी बढ़ रहा है कि लड़ाई एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध का स्वरुप ले सकती है।
गाजा के अधिकारियों के मुताबिक, इजरायली सेना द्वारा हमास के खिलाफ छेड़े गए युद्ध में अब तक २३,००० से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। गाजा की ज्यादातर आबादी विस्थापित हो चुकी है।दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इजराइल पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए प्रकरण दायर किया है।
अमेरिका ने इजराइल से कहा है कि वह सैन्य अभियान को धीमा करे। कई अन्य देशों ने तुरंत युद्धविराम लागू करने की मांग की है। यहूदी-विरोधी विचारधारा जोर पकड़ रही है और यहूदियों के प्रति दुनिया की सहानुभूति घट रही है।
इस सबके बाद भी नेतन्याहू ईरान और उसके द्वारा प्रायोजित लेबनान में सक्रिय हिज़बुल्लाह और यमन में केन्द्रित हूतियों को ललकार रहे हैं। हिजबुल्लाह और हुतियों द्वारा फिलिस्तीनियों के साथ उनकी एकजुटता दिखाने के लिए की जा रही सैनिक कार्यवाहियों से बड़े टकराव का खतरा बढ़ गया है।
अमेरिका भी इस टकराव में शामिल हो गया है। उसने हूतियों द्वारा व्यापारिक जहाजों पर दो दर्जन से अधिक हमलों की प्रतिक्रिया में पिछले हफ्ते यमन में हूतियों के अड्डों पर हवाई हमले किए। इजराइल-लेबनान सीमा पर भी गोलीबारी जारी है, जिसके चलते हजारों इजरायली और लेबनानी आसपास के इलाके छोडऩे को बाध्य हो गए हैं।
इजराइल ने चेतावनी दी है कि यदि इनके वापिस लौटने के लिए किए जा रहे कूटनीतिक प्रयास सफल नहीं हुए तो वह वहां भी सैनिक कार्यवाही करेगा। बीबी की धमकियों का जवाब देते हुए हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसराल्ला ने भी धमकी दी: “आज ९९ दिनों के बाद भी हम युद्ध के लिए तैयार हैं। हम युद्ध से नहीं डरते।”
इस सबसे नेतन्याहू जरा भी चिंतित नहीं हैं। वे घरेलू मोर्चे पर नाकामयाबियों के वावजूद अडिग हैं। वे युद्ध के घोषित लक्ष्यों – हमास को तबाह करने और बंधकों को मुक्त कराने – को अभी तक हासिल नहीं कर पाए हैं। और अब जनता में बीबी के प्रति नाराजगी पैदा होने लगी है, क्योंकि ज्यादातर बंधक अभी तक वापस नहीं लाए जा सके हैं।
इजराइल में बीते रविवार को, जो वहां छुट्टी का दिन नहीं होता है, बंधकों के प्रति एकजुटता दर्शाने के लिए १०० मिनिट तक विश्वविद्यालयों, कई उद्योग-धंधों, स्थानीय एवं सार्वजनिक संस्थाओं में कामकाज रोका गया। दसियों हजार इजरायली शनिवार की रात तेल अवीव में बंधकों और उनके परिवारजनों के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए आयोजित एक रैली में शामिल हुए। कई प्रदर्शनकारियों ने सरकार से बाकी बंधकों की रिहाई तुरंत सुनिश्चित करने की मांग करते हुए शहरों को जोडऩे वाले मुख्य हाईवे को बंद कर दिया।
साफ़ है कि नेतन्याहू का राजनैतिक भविष्य अधर में है। इजराइल के सर्वोच्च न्यायालय ने भी न्यायिक सुधार के उनके विवादास्पद कदमों को खारिज कर दिया है। एक और मुसीबत भी है।सवाल है बंधकों की रिहाई को युद्ध का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए या हमास को नष्ट करना? कुछ इजराइली पहले के पक्ष में हैं और कुछ दूसरे के। और इन दोनों समूहों के बीच तनाव बढ़ रहा है जो इजराइल के सत्ताधारी गठबंधन में बढ़ते विभाजन में भी प्रतिबिंबित है।
कुल मिलाकर इजराइल में अफरातफरी का माहौल है। पूरे क्षेत्र में इजराइल की बेजा हरकतों के चलते अशांति है और इजराइल की स्वयं की सुरक्षा भी खतरे में है। बीबी पिछले साल न्यायिक कानूनों संबधी विवादों के चलते पहले ही अपनी विरासत पर कालिख पोत चुके थे और इस युद्ध से बची खुची कसर भी पूरी हो गई। यहूदियों के लिए बेंजामिन नेतन्याहू का नेतृत्व बहुत नुकसानदेह साबित हो रहा है। इसने एक नयी यहूदी-विरोधी विचारधारा को जन्म दे दिया है।

Scroll to Top