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सस्केचेवान विधायिका ने विशेष बैठक में प्रोनाउंस विधेयक पारित किया

टोरंटो,२१ अक्टूबर। स्कूली छात्रों द्वारा प्रोनाउंस के उपयोग पर एक विवादास्पद विधेयक को सस्केचेवान विधायिका में अंतिम मंजूरी मिल गई और शुक्रवार को कानून पारित कर दिया गया।
यह कानून १६ साल से कम उम्र के बच्चों को माता-पिता की सहमति के बिना स्कूल में अपना नाम या प्रोनाउंस बदलने से रोकता है।
प्रीमियर स्कॉट मो ने शुक्रवार को अंतिम मतदान के बाद कहा, “यह माता-पिता के लिए अपने बच्चे की शिक्षा और अपने बच्चे के जीवन में शामिल होने के अधिकार को खोल रहा है।”
लेकिन सरकार के इस कदम की प्रांतीय शिक्षक संघ समेत कई समूहों ने आलोचना की है। इस योजना की प्रांत के मानवाधिकार आयोग ने भी आलोचना की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रांतीय मानवाधिकार संहिता को खत्म करने के लिए किसी भी धारा को लागू करने से नाबालिगों के अधिकारों पर काफी असर पड़ता है। विपक्षी न्यू डेमोक्रेट्स ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह कमजोर लोगों से अधिकार छीनता है।
सरकार ने पहली बार इस नीति की घोषणा गर्मियों में की थी। रेजिना एलजीबीटीक्यू संगठन यूआर प्राइड के वकीलों ने इस साल के अंत में एक चुनौती पर सुनवाई होने तक अदालत से निषेधाज्ञा प्राप्त की। उन्होंने तर्क दिया कि यह नीति चार्टर अधिकारों का उल्लंघन करती है और इससे शिक्षक बच्चों को गलत लिंग दे सकते हैं।
यूआर प्राइड के सह-वकील और एगेल कैनेडा के कानूनी निदेशक बेनेट जेन्सेन ने कहा कि टीम आने वाले दिनों में अगले कदम तय करेगी।

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