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ऋषि सुनक का संकट

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के धुर दक्षिणपंथी खेमे के बीच सियासी जंग अब खुल कर सामने आ गई है। भारतीय मूल की नेता सुएला ब्रेवरमैन को गृह मंत्री पद से बर्खास्त कर सुनक ने फिलहाल एक जवाबी वार किया है। उसके बाद अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में अपेक्षाकृत उदार माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को वे अपनी सरकार में ले आए हैं। लेकिन यह कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर जारी रस्साकशी में उनका सिर्फ एक दांव है। ब्रेवरमैन ने लगातार कट्टरपंथी रुख अपनाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के खेमे को अपने इर्द-गिर्द लामबंद किया है। फिलस्तीन समर्थकों के प्रति कथित नरमी दिखाने के लिए ब्रिटिश पुलिस की आलोचना उनकी इसी सियासत का हिस्सा था। इसके लिए उन्होंने कैबिनेट की मर्यादा का उल्लंघन किया। हालांकि एक अखबार में लेख लिख कर उन्होंने पुलिस की आलोचना की, लेकिन समझा गया कि उनका असल निशाना प्रधानमंत्री हैं। अब इसका जवाब सुनक ने दिया है।
यह गौरतलब है कि ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी के तुरंत बाद धुर-दक्षिणपंथी खेमे की बैठक हुई। बैठक के तुरंत बाद बोरिस जॉनसन के खास समर्थक एक नेता ने ट्विटर पर कहा- ‘अब अति हो गई है। अब वक्त ऋषि सुनक की विदाई का है, ताकि उसका स्थान कोई वास्तविक कंजरवेटिव नेता ले सके।’ बताया जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री जॉनसन ने उनसे कथित विश्वासघात करने के लिए सुनक को अब तक माफ नहीं किया है। उनका गुट बदला लेने के लिए सही समय की ताक में है। ब्रेवरमैन उस एजेंडे को आगे बढ़ा रही हैं। संभावना जताई गई है कि जल्द ही वे एक और लेख लिख कर अपना (यानी धुर-दक्षिणपंथी गुट का) आगे का एजेंडा देश को बताएंगी।
मतलब यह कि कंजर्वेटिव पार्टी का संकट और गहराने के संकेत हैं। वैसे असल में इस संकट की जड़ें देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था में हैं, जिससे देश के आम लोगों की माली हालत अकल्पनीय रूप से बदतर हो गई है। जॉनसन, लिज ट्रस और ऋषि सुनक- सबकी सरकारें इस मोर्चे पर नाकाम रही हैं। इन हालात में कंजर्वेटिव पार्टी का संकट बढऩा अस्वाभाविक नहीं है।

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