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RBI ने डिजिटल ट्रांजैक्शंस फ्रॉड में बढ़ाया कस्टमर प्रॉटेक्शन

मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल ट्रांजैक्शंस में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए इस चैनल में यूजर्स का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए कस्टमर्स प्रॉटेक्शन के दो उपाय करने का ऐलान किया है। इनमें से एक के जरिए फर्जी डिजिटल ट्रांजैक्शन होने की सूरत में कस्टमर लायबिलिटी घटाई गई है। दूसरे में डिजिटल ट्रांजैक्शंस के लिए ग्रीवांस रिड्रेसल मेकेनिज्म लागू किया जाएगा। आरबीआई ने कहा है कि जो कस्टमर्स अनऑथराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शंस के बारे में समय पर सूचित करेंगे, उन्हें उसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, चाहे जिस इंस्ट्रूमेंट का भी इस्तेमाल किया गया होगा। ये स्कीमें RBI के उस आदेश का विस्तार हैं, जिसके जरिए उसने कस्टमर्स को ऑनलाइन और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शंस में होने वाले फ्रॉड से प्रॉटेक्शन दिया था। फ्रॉड होने की सूरत में कस्टमर को मिलने वाले प्रॉटेक्शन का दायरा बढ़ा दिया गया है और प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए होनेवाले अनऑथराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शंस को भी शामिल करके कस्टमर लायबिलिटी को सीमित कर दिया गया है। रिजर्व बैंक दिसंबर के अंत तक इस बाबत गाइडलाइंस जारी कर सकता है।
पहले आरबीआई ने कहा था कि अगर कस्टमर फ्रॉड की जानकारी तीन वर्किंग डे के भीतर दे देता है, तो उसके लिए उसे जिम्मेदार नहीं करार दिया जा सकता। RBI ने इसके साथ यह भी कहा था कि अगर कस्टमर किसी अनऑथराइज्ड ट्रांजैक्शन की जानकारी 7 दिन के भीतर देता है तो उनके मामले में कस्टमर लायबिलिटी 25,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने कस्टमर प्रॉटेक्शन अभियान के तहत डिजिटल ट्रांजैक्शंस के लिए ओंबड्समैन स्कीम भी शुरू की है। RBI के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘लेसकैश सोसायटी को बढ़ावा देने की रिजर्व बैंक की कोशिश से डिजिटल ट्रांजैक्शंस के वॉल्यूम, वैल्यू और चैनलों में खासी बढ़ोतरी हुई है।’ जैन ने कहा, ‘इस पावरफुल चैनल में यूजर्स का भरोसा बढ़ाने के लिए एक समर्पित और मजबूत शिकायत निपटारा व्यवस्था जरूरी है। चैनल को लेकर आने वाली शिकायतों की बढ़ती संख्या और जटिलता से निपटने के लिए कॉस्ट फ्री और तेज तरीका मुहैया कराने के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शंस के वास्ते रिजर्व बैंक ओम्बड्समैन स्कीम तैयार कर रहा है।’ रिजर्व बैंक के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक, सितंबर में बैंकिंग स्पेस में 18 लाख करोड़ रुपये के 18.1 NEFT ट्रांजैक्शंस और लगभग 21.3 लाख करोड़ रुपये के 48.65 करोड़ मोबाइल बैंकिंग ट्रांजैक्शंस हुए थे।

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